सिद्धार्थ नगर – पुलिस परीक्षा देकर जिंदगी से हार गया शिवशंकर यादव शिवशंकर यादव की मेहनत और सपने बस हादसे में बिखरे, परिवार सदमे में
पुलिस भर्ती परीक्षा से लौटते समय युवक की बस के नीचे दबकर मौत, परिवार से किया वादा अधूरा रह गया
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बांसी कस्बे के माधव बाबू चौक पर पुलिस भर्ती परीक्षा देकर लौटे युवक की शुक्रवार की रात बस से उतरते समय उसी बस की चपेट में आने से मौत हो गई। पुलिस ने बस को कब्जे में ले लिया है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
बांसी कोतवाली क्षेत्र के कुशलपुर गांव निवासी नवयुवक शिवशंकर यादव पुत्र बालजी यादव पुलिस भर्ती परीक्षा बस्ती से देकर रात शुक्रवार को लगभग 10 बजे बांसी माधव बाबू चौक पर रोडवेज की बस से उतर रहा था। इस दौरान बस का पहिया उसके ऊपर चढ़ गया।
आनन फानन में लोग उसे लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बांसी पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना पर कोतवाली पुलिस ने रोडवेज बस को अपने कब्जे में ले लिया है। चालक और परिचालक फरार हो गए हैं।
पुलिस ने मृतक के परिजनों को भी सूचना दी सभी लोग रात में ही अस्पताल पहुंच गए। मौत होने से परिजनों का रो-रो कर हाल बेहाल है। प्रभारी निरीक्षक बिंदेश्वरी मणि त्रिपाठी ने बताया है कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। बस पुलिस के कब्जे में है।
बताते चलें कि शिवशंकर यादव की पुलिस भर्ती परीक्षा से लौटते समय एक दर्दनाक हादसे में मौत हो गई। शिवशंकर, जो इस बार पुलिस भर्ती परीक्षा पास करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे थे, ने अपने परिवार से इस बार चयनित होने का वादा किया था। लेकिन उनकी उम्मीदें और सपने उस समय चूर-चूर हो गए, जब वह परीक्षा देकर घर लौटते वक्त बस के नीचे आ गए।
शिवशंकर यादव परीक्षा देकर बस से वापस लौट रहे थे। बस से उतरते समय अचानक उनका संतुलन बिगड़ गया, और वह बस के नीचे दब गए। इस दुर्घटना में शिवशंकर की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे की खबर मिलते ही उनके परिवार में कोहराम मच गया।
शिवशंकर यादव एक मेहनती और होनहार युवक थे। उन्होंने कई महीनों तक कड़ी मेहनत कर इस परीक्षा की तैयारी की थी। उनके मन में केवल एक ही सपना था—पुलिस में भर्ती होकर अपने परिवार को गौरवान्वित करना। उन्होंने अपने माता-पिता से भी वादा किया था कि इस बार वह चयनित होकर ही लौटेंगे। लेकिन दुर्भाग्यवश, उनकी मेहनत और सपने सड़क पर ही खत्म हो गए।
शिवशंकर के निधन से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके पिता ने कहा कि शिवशंकर ने अपनी पूरी जिंदगी इस एक परीक्षा के लिए लगा दी थी, और वह दिन-रात मेहनत कर रहा था। उनका सपना अधूरा रह गया, और परिवार को अब इस अकल्पनीय सदमे का सामना करना पड़ रहा है।
गांव और आसपास के क्षेत्रों में इस हादसे से शोक की लहर है। शिवशंकर के दोस्त और ग्रामीण उनके सपनों के अचानक इस तरह टूटने से सदमे में हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं ताकि किसी और परिवार को इस तरह का दुख न झेलना पड़े।
शिवशंकर यादव की दुखद मौत ने एक बार फिर यह साबित किया कि जीवन कितना अनिश्चित है। उनकी कड़ी मेहनत और परिवार से किया वादा अब केवल एक अधूरा सपना बनकर रह गया है। यह घटना उनके परिवार और पूरे समुदाय के लिए एक गहरा आघात है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
प्रतीकात्मक फोटो