सी एच सी इटवा अधीक्षक पर सरकार से सैलरी लेकर काम अपना करते हैं सरकारी अस्पताल के अन्दर ही प्राइवेट इलाज करने का भी आरोप डी एम से जांच कर कार्यवाही की मांग
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इटवा: सीएचसी अधीक्षक पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें एक अन्य कर्मचारी के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर रुपये निकालने का मामला शामिल है। इस प्रकरण ने शासन की जीरो टालरेंस नीति को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है, जो भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति जीरो सहिष्णुता की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
शिकायतकर्ता इटवा नगर पंचायत निवासी बृज भूषण पाण्डेय ने कहा अधीक्षक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सी एच सी इटवा पर तैनात एक अन्य कर्मचारी अनुपम गौतम [ जो अक्सर अनुपस्थित रहते हैं ] के दस्तखत की नकल की और फर्जी दस्तखत बनाकर इसके जरिए धनराशि की अवैध निकासी की। यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है, बल्कि यह चिकित्सा कर्मचारियों के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि क्या वे अपने कर्तव्यों का पालन सही तरीके से कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने मांग की है कि डी एम साहब को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत जांच के आदेश देना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग के सभी चिकित्सा कर्मचारियों को इस मामले पर ध्यान देने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने की मांग की है। मेडिकल कर्मचारी नियमों के तहत, उन्हें अपने कार्यों में पारदर्शिता और ईमानदारी नहीं बरतने के कारण जनता का विश्वास खो दिया है |
इस प्रकार के घटनाक्रम न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति आम जनता का विश्वास कमजोर करते हैं, बल्कि इसके परिणामस्वरूप सरकारी संसाधनों का भी दुरुपयोग होता है। शासन ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
डॉ. संदीप दिवेदी पर अपने अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप
बृज भूषण पाण्डेय के अनुसार स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं में कथित अनियमितताओं के बीच, डॉ. संदीप दिवेदी पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर अवैध अस्पतालों, अल्ट्रासाउंड केंद्रों, फिजियोथेरेपी सेंटरों और पैथोलॉजी केंद्रों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाये हैं।
शिकायतकर्ता के अनुसार, डॉ. दिवेदी बिना किसी मानक के इन अवैध संस्थानों के संचालन को बढ़ावा देते हैं, जिससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि जनता की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है।
इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग में एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें नियमों के उल्लंघन और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही पर जोर दिया जा रहा है। शासन को इस प्रकरण की गहराई से जांच कराने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। ऐसे आरोपों के मद्देनजर, स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
नियम के विपरीत moic के पद पर हैं तैनात हैं डॉ संदीप दिवेदी
डॉ. संदीप दिवेदी, जो लेवल वन के डॉक्टर हैं, ने नियमों के विपरीत MOIC के पद पर तैनाती पाई है। यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन और नियमों के पालन पर सवाल उठाती है। अधिकारियों को चाहिए कि वे ऐसे मामलों की समीक्षा करें, ताकि चिकित्सा सेवाओं में पारदर्शिता बनी रहे। जांच कर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है |
बताते चलें कि नियमों के उल्लंघन से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि इससे सरकारी संसाधनों का भी दुरुपयोग होता है। शासन की जीरो टालरेंस नीति के तहत, इस तरह की अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। डॉ. दिवेदी की तैनाती पर उचित जांच की जानी चाहिए, ताकि सही निर्णय लिया जा सके और स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।