धुंधली दृष्टि , रंगों में बदलाव , रात में देखने में कठिनाई हो और रोशनी से आंखें चकाचौंध होने लगे तो डॉक्टर से संपर्क करें
आँखें, हमारी दुनिया का सबसे खूबसूरत दर्पण हैं। ये न सिर्फ बाहरी रंगों को आत्मसात करती हैं, बल्कि हमारे भीतर के भावों और सपनों का भी प्रतिबिंब होती हैं। किसी की मुस्कान से चमकती, तो किसी के दर्द से नम होती हैं ये आँखें। प्रेम, करुणा, खुशी, और गहराई – हर एहसास को बिना शब्दों के बयां करने की ताकत रखती हैं। हर नजर में एक कहानी है और हर पलकों की झपक में एक अनकहा जज़्बात। सच में, आँखें वो खिड़की हैं, जिनसे हमारी आत्मा की झलक मिलती है।
समय के साथ उचित खान पान न होने से कुछ विशेष तरह के काम जैसे आग के पास वाले काम केमिकल वाले काम करने से से भी निगाह कमजोर होती है | आगे चलकर मोतियाबिंद कि शिकायत होने लगती है आँखों की पुतली [ काले रंग की ] में सफ़ेद रंग का घेरा बढ़ने लगता है ऐसे में उसका एक मात्र उपाय है सर्जरी |
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फेको लेज़र सर्जरी (Phaco Laser Surgery), जिसे आमतौर पर फेकोइमल्सिफिकेशन (Phacoemulsification) के नाम से जाना जाता है, एक आधुनिक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग मोतियाबिंद (cataract) के उपचार में किया जाता है।
इस सर्जरी में अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग करके आँख के लेंस को छोटे टुकड़ों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें फिर धीरे-धीरे निकाल दिया जाता है। इसके बाद एक कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे रोगी की दृष्टि में सुधार होता है।
फेको लेज़र सर्जरी कैसे काम करती है?
मोतियाबिंद के आप्रेसन के सम्बन्ध में बढनी स्थित सिद्धार्थ नेत्रालय के सर्जन डॉक्टर नदीम अहमद ने बताया कि पुतली में बन रहे सफ़ेद घेरे के लेंस को अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग करके मोतियाबिंद को छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं।
टूटे हुए टुकड़े फिर एक छोटी ट्यूब के माध्यम से निकाल दिए जाते हैं।
इंट्रा-ऑक्युलर लेंस (IOL) प्रत्यारोपण: हटाए गए प्राकृतिक लेंस की जगह कृत्रिम लेंस (IOL) लगाया जाता है।
फेको लेज़र सर्जरी के लाभ
डॉ नदीम बताते हैं कि उनके अस्पताल में आधुनिक मशीनों कि सहायता से इस प्रक्रिया में एक बहुत छोटा चीरा (Incision) लगाया जाता है, जिससे ऊतक का नुकसान कम होता है और सर्जरी के बाद तेजी से रिकवरी होती है।
जल्दी रिकवरी: पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की तुलना में इसमें रिकवरी तेज होती है और मरीज आमतौर पर कुछ दिनों के अंदर अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकते हैं।
कम जोखिम: आधुनिक मशीनों कि सहायता से कम चीरे की वजह से संक्रमण और अन्य जटिलताओं का जोखिम भी कम रहता है।
दृष्टि में सुधार: फेको सर्जरी से दृष्टि की गुणवत्ता में स्थायी सुधार होता है और चश्मे पर निर्भरता भी कम हो सकती है।
फेको लेज़र सर्जरी कब करवानी चाहिए?
बढ़नी क़स्बा स्थित सिद्धार्थ नेत्रालय के सर्जन डॉ नदीम कहते हैं फेको सर्जरी आमतौर पर तब करवाई जाती है जब मोतियाबिंद का असर दृष्टि पर पड़ने लगे और दैनिक गतिविधियों में कठिनाई आने लगे। इसे करवाने के कुछ सामान्य संकेत निम्नलिखित हैं:
धुंधली दृष्टि: जब धुंधलापन इतना बढ़ जाए कि पढ़ने, ड्राइविंग करने या काम करने में बाधा उत्पन्न होने लगे।