पिछले लगभग दो दशक से अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को मुस्लिम संसथान का दर्जा लेने देने को लेकर सरकार अपनी वाली जोत रही थी वर्तमान सरकार मुसलमानों के पीछे हाथ धोकर पड़ी है ऐसे समय में एएमयू पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय संविधान की जीत : मणेन्द्र मिश्रा
अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान के लिए संरक्षण देता है सिद्धार्थनगर के एएमयू में पढ़े छात्रों ने जनपद का मान बढ़ाया है वैसे भी अलीगढ की पढाई अपने आप में बहुत शानदार है वर्ल्ड वाइड है |
kapilvastupost
समाजवादी शिक्षक सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, यश भारती सम्मानित श्री मणेन्द्र मिश्रा मशाल ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रशासन का अधिकार के तहत स्थापित एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जा को यथावत बहाल किया जाना भारतीय संविधान की जीत है।
इसका समाज में सकारात्मक संदेश गया है। सर सैय्यद अहमद ने अल्पसंख्यक समाज सहित सभी वर्गो को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए एएमयू की स्थापना की। बीते सौ वर्षों में इस संस्थान ने भारत के अकादमिक क्षेत्र में अनेक विद्वान दिए हैं। निश्चय ही महामहिम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने आम जनता के मन में न्याय के प्रति भरोसा मजबूत किया है।
पिछड़े जिले सिद्धार्थनगर से प्रति वर्ष हजारों नौजवान विभिन्न विषयों में एएमयू से पढ़ाई कर अच्छे पदों पर कार्यरत हैं। जिले के डुमरियागंज के वासा निवासी डॉ वसीमउरहमान ने उर्दू माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा टॉप किया और शोहरतगढ़ के श्री इरफान अजीज यूपीएससी के भारतीय रिवेन्यू सर्विसेज के तहत एडिशनल कमिश्नर पद पर कार्यरत है।
अस्सी के दशक में जनपद निवासी शोहरतगढ़ के प्रो अनवार एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने उत्तर प्रदेश की शैक्षणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक धारा को बेहद समृद्ध किया है।
एएमयू से निकले पुराने छात्रों, विशेष रूप से पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन,भारत रत्न शहरयार,हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, क्रिकेट खिलाड़ी लाला अमरनाथ, मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी, राही मासूम रजा सहित नयी पीढ़ी के अनेक ऐसे नाम है जिन्होंने यहां की प्रतिष्ठा को देश-दुनिया में बढ़ाया है।