आज, इस ऐतिहासिक दिन की 30वीं वर्षगांठ पर, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने महान जनयुद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और इस संघर्ष को नेपाल की क्रांति का सबसे बड़ा मील का पत्थर बताया।
13 फरवरी 1996 (2052 फाल्गुन 1) को, नेपाली जनता ने अपने अधिकारों की बहाली और शोषण के खिलाफ एक ऐतिहासिक संघर्ष की शुरुआत की, थी जिसे महान जनयुद्ध के नाम से जाना जाता है। यह आंदोलन अत्याचार, शोषण और दमन के विरुद्ध एक अभूतपूर्व विद्रोह था, जिसने न केवल हजारों लोगों का बलिदान लिया, बल्कि नेपाल के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को नया रूप दिया
अपने संदेश में, प्रचंड ने कहां कि महान जनयुद्ध केवल राजनीतिक परिवर्तन की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह नेपाल में शोषण और दमन की व्यवस्था को समाप्त करने और एक नए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ढांचे की नींव रखने की शुरुआत थी।”
आज के तीस साल पहले, नेपाल वर्गीय भेदभाव, जमींदारी व्यवस्था और सामाजिक अन्याय का शिकार था। लेकिन जनता के इस साहसिक संघर्ष ने पुरानी शोषणकारी व्यवस्था को चुनौती दी और नेपाल को एक आधुनिक, संघीय गणराज्य में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह क्रांति थी, जिसने उन वर्गों को, जो सदियों से दमन का शिकार थे, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का हौसला दिया।”
प्रचंड ने कहा कि जनयुद्ध की सबसे बड़ी उपलब्धि नेपाल में संविधान सभा के माध्यम से नया संविधान बनाना, संघीय प्रणाली लागू करना और समावेशी शासन को संस्थागत करना रहा। आज नेपाल में दलितों, महिलाओं, मधेशियों, मुसलमानों और आदिवासी समुदायों के अधिकारों को न केवल मान्यता दी गई है, बल्कि राज्य की संरचना में उनका प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया गया ह
हमें संघीयता को और मजबूत करना होगा, समावेशी शासन को जमीनी स्तर पर लागू करना होगा और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करना होगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस क्रांति को अधूरा न छोड़ें यह यात्रा भी पूरी नहीं हुई है–
माओवादी केंद्र लुंबिनी प्रदेश के वरिष्ठ नेता मौलाना मशहूद खान नेपाली ने कहा:
“यह केवल राजनीतिक परिवर्तन की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह एक सामाजिक और नैतिक क्रांति थी, जिसने नेपाली जनता के भविष्य को बदल दिया। इस संघर्ष ने हमें सिखाया कि जब कोई राष्ट्र एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए खड़ा होता है, तो कोई भी शक्ति उसे रोक नहीं सकती। यह क्रांति दलितों, महिलाओं, मुसलमानों, मधेशियों और आदिवासी समुदायों की साझा लड़ाई थी, जिसने हमें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का साहस दिया और एक नए युग की शुरुआत हुई
“महान जनयुद्ध केवल नेपाली जनता के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के शोषितों के लिए एक संदेश है कि न्याय की मांग कभी व्यर्थ नहीं जाती। आज हम सभी के लिए एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है, जहां हर व्यक्ति का स्थान और अधिकार सुरक्षित है। हमें इस क्रांति की आत्मा को जीवित रखना होगा और आगे बढ़ना होगा, ताकि यह सामाजिक परिवर्तन हमें एक बेहतर, न्यायसंगत समाज प्रदान कर सके।”
उन्होंने कहा कि संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन हमारी यात्रा अभी समाप्त नहीं हुई है। हमें मिलकर इस राह को पूरा करना होगा, ताकि यह क्रांति पूरी तरह सफल हो सके।