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परमात्मा उपाध्याय की रिपोर्ट
नेपाल के पूर्व राजा बीरेंद्र और उनके परिवार की हत्या को दो दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन यह हत्याकांड अब भी रहस्य बना हुआ है। हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने इस मामले की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब वे स्वयं प्रधानमंत्री रहे, तब उन्हें यह याद क्यों नहीं आई?
क्या यह पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर कानूनी शिकंजा कसने की कोशिश है या सच में न्याय की मांग? आखिर क्यों, जब नेपाल में राजशाही को खत्म कर गणतंत्र स्थापित किया गया, तब इस हत्याकांड की पूरी जांच नहीं कराई गई?
नरसंहार की आधिकारिक कहानी और विरोधाभास
नेपाल की आधिकारिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस हत्याकांड के पीछे तत्कालीन क्राउन प्रिंस दीपेंद्र थे। 1 जून 2001 की रात नारायणहिति राजमहल में पारिवारिक डिनर के दौरान दीपेंद्र ने कथित तौर पर नशे में धुत होकर अपने माता-पिता और अन्य परिजनों पर गोलियां चला दीं। इसके बाद उन्होंने खुद को भी गोली मार ली।
लेकिन इस कहानी में कई झोल हैं:
1. दीपेंद्र कोमा में तीन दिन तक जीवित रहे, लेकिन उनके पोस्टमार्टम की कोई आधिकारिक रिपोर्ट सामने नहीं आई।
2. राजमहल में सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत कड़ी थी, फिर भी इतनी बड़ी घटना को रोका क्यों नहीं गया?