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परमात्मा उपाध्याय की रिपोर्ट
नेपाल की राजधानी काठमांडू में आगामी 15 चैत्र, शुक्रवार को राजशाही समर्थकों और गणतंत्र समर्थकों के बीच टकराव की आशंका जताई जा रही है। राजशाही की बहाली के लिए संयुक्त जन आंदोलन समिति के नवराज सुवेदी ने एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन करने की घोषणा की है। वहीं, समाजवादी मोर्चा ने भी उसी दिन गणतंत्र के समर्थन में जवाबी प्रदर्शन की योजना बनाई है।
राजशाही समर्थकों का प्रदर्शन
नवराज सुवेदी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सभी राजतंत्रवादी पार्टियों, समूहों और व्यक्तियों से एकजुट होकर प्रदर्शन में भाग लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि नेपाल एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और इस समय देशभक्तों और राजतंत्रवादियों का एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने देश की बिगड़ती स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि राजतंत्र की बहाली नहीं हुई तो देश और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
सुवेदी ने कहा, “मैं राजतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए संयुक्त जन आंदोलन समिति का नेतृत्व कर रहा हूं। मैं देश के विभिन्न दलों और समूहों से अनुरोध करता हूं कि वे मेरे साथ समन्वय करें ताकि राजतंत्रवादी आंदोलनों को संयुक्त रूप से और जोरदार तरीके से आगे बढ़ाया जा सके और उन्हें निर्णायक चरण में लाया जा सके।”
गणतंत्र समर्थकों का जवाबी प्रदर्शन
समाजवादी मोर्चा ने भी उसी दिन काठमांडू में राजशाही समर्थकों के प्रदर्शन के खिलाफ जवाबी प्रदर्शन की योजना बनाई है। एनसीपी महासचिव नेत्र बिक्रम चंद विप्लव के नेतृत्व में मोर्चा गणतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन करेगा। उनका उद्देश्य राजतंत्रवादियों का मुकाबला करना और गणतंत्र की रक्षा करना है।
संभावित टकराव की आशंका
एक ही दिन दो विपरीत विचारधाराओं के समर्थकों के प्रदर्शन से काठमांडू में तनाव बढ़ने की आशंका है। सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं।
नेपाल में राजशाही का इतिहास
नेपाल में 2008 तक राजशाही थी। लेकिन, एक जन आंदोलन के बाद राजशाही को समाप्त कर दिया गया और देश को गणतंत्र घोषित किया गया। हालांकि, राजशाही समर्थक अभी भी देश में सक्रिय हैं और राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं।
आगे की स्थिति
आगामी 15 चैत्र को काठमांडू में होने वाले दोनों प्रदर्शनों पर देश की राजनीतिक स्थिति निर्भर करेगी। यह देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखते हैं या फिर टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है।