सिद्धार्थ विश्वविद्यालय व नेपाल के लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बीच एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर और नेपाल के लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय लुम्बिनी के बीच आज एवं एम ओ यू यानी मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग जिसे समझौता पत्र मसौदा के नाम से जाना जाता है, पर दोनों विश्वविद्यालय के कुलपति की उपस्थिति में कुलसचिवो के द्वारा हस्ताक्षर किया गया।
इसमें हिंदी,नेपाली भाषा साहित्य, प्राचीन इतिहास संस्कृति और साहित्य पर्यटन और धरोहर संस्कृत बौद्ध दर्शन साहित्य, अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध जैसे तमाम विषयों के बीच शिक्षण शोध और शिक्षकों के ज्ञान के आदान-प्रदान की योजना के साथ समझौता हुआ है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय से समीप नेपाल में स्थित लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बीच इस संदर्भ में विगत दिनों से समझौता करने की बात चल रही थी ।
आज सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव कुलसचिव डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह कला अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा,प्रोफेसर मंजू मिश्रा प्रोफेसर सुशील तिवारी डॉ नीता यादव डॉ अविनाश प्रताप सिंह वित्त विभाग से मनीष एवं कुलसचिव के सहायक सत्यम दीक्षित के साथ लुंबिनी विश्वविद्यालय जाकर वहां पर समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुआ है।
दोनों विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा एक दूसरे के प्रपत्र पर हस्ताक्षर करके समझौता किया गया है। इस अवसर पर कुलपति प्रोफ़ेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह के अधीन लंबे समय तक दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक गतिविधियों और शोध को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य चलता रहेगा उन्होंने कहा कि इस वर्णन से दोनों देशों के शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से शोध के क्षेत्र में बहुत ही उत्थान की संभावना है|
इसके पीछे स्पष्ट उद्देश्य है कि भारत और नेपाल के बीच बहुत घनिष्ठ सामाजिक सांस्कृतिक संबंध रहे हैं भारत और नेपाल दो देश जरूर हैं लेकिन दोनों की आत्मा एक है जिस प्रकार से सामाजिक और सांस्कृतिक रहन-सहन के बीच घनिष्ठता और आत्मीयता है शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के शिक्षा की धरोहर को एक दूसरे के साथ साझा करके दोनों देशों के विद्यार्थियों को लाभान्वित किया जा सकता है|
शिक्षक भी इससे लाभान्वित होंगे और समाज भी इससे लाभान्वित होगा महात्मा गौतम बुद्ध ने भारत और नेपाल की आत्मा को एक करने में विशेष भूमिका का निर्वहन किया है उनके शिक्षा के विचार इस एकात्मता को बढ़ाने में विशेष भूमिका का निर्वहन करेंगे |
इस अवसर पर लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हृदय भट्टाचार्य ने कहा कि महात्मा गौतम बुद्ध की जन्मस्थली और महात्मा गौतम बुद्ध की किरण अली केवल एक लिखित समझौता नहीं है बल्कि विद्यालयों के रूप में गौतम बुद्ध की आत्मा का मिलन है उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे बहुत स्पष्ट उद्देश्य था कि गौतम बुद्ध की जन्मस्थली को और भव्य स्वरूप दिया जाए अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए यहां सामाजिक और सांस्कृतिक संभावना है जो शिक्षा के माध्यम से और विस्तार ले सकती हैं उनको और प्रकार बनाया जाए |
बुद्ध का पूरा जीवन शांति का संदेश देने वाला जीवन है इसलिए बुद्ध की शिक्षा दुनिया में शांति के लिए महत्वपूर्ण आधार है विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी शिक्षक बुद्ध की शिक्षा कोई दूसरे के साथ अपने ज्ञान के माध्यम से शोध के माध्यम से और घनिष्ठ करने में सहयोगी बनेंगे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय और उसके पाठ्यक्रम से विश्वविद्यालय प्रभावित है गौतम बुद्ध से संबंधित विद्यालय की शिक्षा और सिद्धार्थ विश्वविद्यालय परिसर में गौतम बुद्ध का जीवन स्वरूप हम लोगों को लगातार प्रभावित कर रहा है |
इसलिए हम लोगों ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के साथ बुद्ध की शिक्षा और विस्तार के लिए समझौता किया है इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों के विद्यार्थी शिक्षक एक दूसरे के ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से भव्य विश्व की रचना में अपनी भूमिका का निर्माण कर सकते हैं विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए यह बहुत बड़ा अवसर है बुद्ध की शिक्षा विद्यार्थियों शिक्षकों ज्ञान की अमृत धारा को निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा विज्ञान है |
और माध्यम से प्रदान किया जा सकता है महात्मा बुद्ध का ज्ञान भारत और नेपाल दोनों के लिए अमूल्य संपदा है और इस अमूल्य संपदा को विद्यार्थियों और शिक्षकों तक पहुंचाना है दोनों विश्वविद्यालयों का मुख्य कार्य है वास्तव में आज का समझौता बहुत गंभीर समझौता है और बहुत ही परिणाम कारी साबित होगा दोनों देशों के दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी के लिए इस अवसर पर लुंबिनी विश्वविद्यालय के अधिकारी गण उपस्थित रहे इससे पूर्व दोनों विश्वविद्यालयों के कुलसचिव के द्वारा विश्व अपने-अपने विश्वविद्यालय के विषय में बताया गया लुंबिनी विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने कहा कि समझौते के द्वारा दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच अकादमी गतिविधियों में सहयोग के माध्यम से शिक्षा का विस्तार होगा|
विद्यार्थियों शिक्षकों और शोध कार्य को बढ़ावा मिलेगा 1990 में लुंबिनी विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से ही महात्मा गौतम बुद्ध के साहित्य संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विविध गतिविधियों और पाठ्यक्रमों का संचालन कर रही है 14 कैंपस कार्यक्रमों के चलाए जा रहे हैं इसके साथ साथ इस विद्यालय में मानविकी विषयों के साथ-साथ बिजनेस के भी पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं टूरिज्म के कार्यक्रम भी शामिल है |
ऐसे में इन पाठ्यक्रमों को और पाठ्यक्रमों के जो विविध आयाम है उसे सिद्धार्थ विद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षकों को भी लाभ मिल सकता है इसी प्रकार से जो पाठ्यक्रम सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में संचालित हो रहे हैं उसका लाभ यहां के शिक्षकों और विद्यार्थियों को क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी साबित होगा |
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अमित कुमार सिंह ने कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय 2015 में स्थापित हुआ है कैंपस में 55 शिक्षकों और लगभग 14 विद्यार्थियों के साथ अध्ययन अध्यापन कार्य प्रारंभ हुआ है इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत 6 जिलों में 280 महाविद्यालय संबंध है जिसमें लगभग 250000 विद्यार्थी अध्ययनरत है ऐसे में विभिन्न पाठ्यक्रमों का लाभ हम चाहते हैं कि बगल के मित्र राष्ट्र नेपाल के विद्यार्थियों और शिक्षकों को मिले और वहां के जो धरोहर है ज्ञान का उसे हमारे विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी लाभान्वित हो इस उद्देश्य से समझौता पर हस्ताक्षर हुआ है |
सिंह ने कहा कि आज के समय में विद्यार्थी सिद्धार्थ विश्वविद्यालय संबंध महाविद्यालयों में अध्ययनरत हैं प्रभावित हुई है दोनों विद्यालयों के विद्यार्थियों को विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इस एम ओ यू के लिए विश्विद्याल परिवार ने कुलपति एच बी श्रीवास्तव को बधाई दी।