ना घर में आंगन रहा ना गौरैयों की चहचहाहट, इस चिड़िया के संरक्षण में दिन-रात लगे हैं टाइगर बाबू
अभिषेक शुक्ला
घर के आंगन में चहचहाती गौरैया भला किसे अच्छी नहीं लगती. कुछ साल पहले तक हमारे घर के बच्चे तो इनका चहचहाना और फुदकना देखकर ऐसे खुश होते जैसे उन्हें कोई बड़ा गिफ्ट मिल गया हो, लेकिन आज ना घर में वो आगन रहा ना गौरैयों का चहचहाना. हमारी नई पीढ़ी वीडियो गेम और डोरेमोन जैसे कार्टून सीरियल में ही सिमट कर रह गई. अपनी मीठी आवाज से दिल को सुकून देने वाली गौरैया आज इंसानों से दूर होती जा रही है, लेकिन प्यारी सी दिखने वाली ये चिड़िया आज भी पल्टा देवी के टाइगर बाबू की जान है | 
गौरैया पंक्षी विलुप्ति के कगार पर है इनका संरक्षण बहुत ही जरुरी हो गया है गौरैया पंक्षी किसान का और पर्यावरण का मित्र है अनवारूल हक टाइगर बाबू ने बाताया
गौर संरक्षण पिछले 10 वर्षों से कर रहे हैं दाना पानी डालना कृत्रिम घोषला बनाकर अपने घर पर एवं अन्य गांव के घरों पर लगाने का सिलसिला जारी है चप्पल के गत्ते से कृत्रिम घोषला बनाकर आबादी मे जहां भी लगा देते हैं एक सप्ताह के अन्दर गौरैया अपना आशियाना बना लेती है पहले गौरैया एक दो दिख जाती थी लेकिन आज गौरैया पंक्षी की तादाद सैकड़ों मे है |
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