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देवेंद्र श्रीवास्तव उसका बाजार
कस्बा के अम्बेडकर नगर वार्ड में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य संतोष जी महाराज ने शिव पार्वती विवाह की कथा बड़े ही मार्मिक ढंग से सुनाई। शिव विवाह की कथा सुनकर श्रद्धालु आनंदित हुए।
कथा व्यास ने कहा कि शिवजी जब बारात लेकर चलने लगे तो उनकी बारात में भूत-प्रेत,बेताल सब मगन होकर नाच रहे थे। भगवान शिव स्वयं नंदी पर विराजमान थे और गले में नाग की माला धारण किए हुए थे। साथ में भगवान विष्णु और ब्रह्माजी भी देवताओं की टोली लेकर चल रहे थे। त्रिलोक शिव विवाह के आनंद से मगन हो रहा था। हर तरफ शिवजी के जयकारे लग रहे थे। बारात नगर भ्रमण करते हुए देवी पार्वती के पिता राजा हिमवान के द्वार पहुंची।
बारात के स्वागत के लिए महिलाएं आरती की थाली लेकर आयीं। भगवान शिव की सासु मां मैना अपने दामाद की आरती उतारने दरवाजे पर पहुंची। भगवान शिव की सामने जब मैना पहुंची तो शिवजी का रूप देखकर चकरा गईं। उस पर शिवजी ने अपनी और लीला दिखानी शुरू कर दी। शिवजी के नाग ने फुफकार मारना शुरू किया । तेज हवा से वस्त्र अस्त-व्यस्त होने लगे। मैना वहीं अचेत होकर गिर गईं।
होश आया तो उन्होंने शिवजी के साथ अपनी सुकुमारी कन्या देवी पार्वती का विवाह करने से मना कर दिया। मैना ने कहा कि देवी पार्वती सुकुमारी को बाघंबरधारी, भस्मधारी मसानी को नहीं दे सकती। माता को व्याकुल देख पार्वती समझ गईं कि यह सब शिवलीला के कारण हो रहा है। बाद में देवर्षि नारद आये और सभी का भ्रम दूर करके विवाह के लिए राजी किया। इसके बाद खूब धूमधाम से माता पार्वती व शिव जी का विवाह संपन्न हुआ। कथा समापन के बाद आरती व प्रसाद का वितरण हुआ। कथा में यज्ञमान वेदव्यास मिश्र , पवन कुमार , शिव शंकर , देवराज, गीता देवी, बदामा देवी आदि श्रद्धालु रहे।
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