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सुनील चौरसिया
बांसी। तहसील क्षेत्र बांसी के देवभरिया गांव निवासी अनिल मिश्र के दुसरे नंबर के पुत्र अनुराग मिश्र ने नीट की परीक्षा को तीसरी प्रयास में क्रेक कर सरकारी मेडिकल कालेज में प्रवेश पाने का मार्ग प्रशस्त कर लिया।
अनुराग मिश्र ने इसका सारा श्रेय माता पिता के मार्गदर्शन, बडे भाई करुणेश मिश्र के सहयोग और बडो़ंं के आशीर्वाद सहित डिजिटल क्रांति को भी दिया। अनुराग मिश्र ने प्रारंभिक शिक्षा बांसी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से हाई स्कूल तक इंटर की शिक्षा बांसी स्थित सरदार पटेल से प्राप्त किया।
हालांकि उन्होंने स्कूली शिक्षा पर कम डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से तथा आफलाइन कोचिंग की शिक्षा कानपुर न्यूलाइट को सफलता का अवलंब बनाया।
नतीजा रहा कि इसी वर्ष इंटरमीडिएट नीट की परीक्षा में उन्होंने अपने टारगेट विषय फिजिक्स में 97.69 प्रतिशत, केमेस्ट्री में 98.68 तथा जीवविज्ञान में भी 99.84 प्रसेंटाइल अंक हासिल कर जहाँ क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया वहीं विगत 07 मई को आयोजित नीट की परीक्षा में बैठकर अनुराग मिश्र ने 720 नंबर के सापेक्ष 625 नंबर प्राप्त कर तीसरे प्रयास में जो उपलब्धि हासिल किया |
वह कठिन परिश्रम के सहारे हौसले की ही उडान है। जानकारों की मानें तो ऐसे बच्चों की संख्या बहुत ही कम होती हैं जिन्होंने लगातार प्रयास करते हुए नीट की परीक्षा में सफलता अर्जित कर सरकारी मेडिकल कालेज में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया हो।
अनुराग मिश्र ने नीट की परीक्षा में तीसरे प्रयास में ही उम्मीद से अधिक प्रदर्शन करअपने परिवार सहित क्षेत्र का भी मान बढाया है। उनके इस उपलब्धि पर जहाँ परिवार सहित परिवार के शुभेच्छुओं में खुशी का माहौल है।
वहीं पिता अनिल कुमार, माता पूनम मिश्रा, छोटे भाई दिपांशु मिश्र, दीपक मिश्र, प्रभाकर मिश्र, दिनेश मिश्र, वीरेंद्र मिश्र,डा.प्रदीप पान्डेय,राम अनुज चौरसिया, रामनरायण मिश्र आदि ने अनुराग मिश्र के आशातीत सफलता पर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ बधाई भी दिया।
सभी ने कहा कि महंगे शिक्षण संस्थानों में पढाई करने से ही कामयाबी की गारंटी नहीं होती। डिजिटल क्रांति के दौर में कम खर्चे में ग्रामीण क्षेत्र के गरीब बच्चे भी अपनी लगन व परिश्रम की बदौलत आन लाइन शिक्षा से कोचिंग कर कामयाबी का परचम लहरा सकते हैं। अनुराग ने जो करके दिखाया वह एक नजीर है।
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