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Kapilvastupost
जिले के नगर पालिका परिषद बांसी में स्थित एक मैरेज हाल में रविवार को परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का 58वें शहादत दिवस पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उक्त शहीद दिवस आल इंडिया अंजूमन इदरीसिया यूनिट सिद्धार्थनगर द्वारा आयोजित की गई। श्रद्धांजलि सभा को समीम अहमद, समसुलहक, इस्हाक अंसारी, मोहम्मद शोएब, मौलाना तबारक, अक्तर हुसैन इदरीशी, निशार बागी, हाजी अकबर अली आदि ने श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन मेहताब आलम ने किया।
ज्ञातव्य हो कि परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद जिन्होंने युद्ध में शहीद होने से पहले पाकिस्तानी सेना के आठ पैटन टैंको को नष्ट कर लड़ाई का रुख पलट दिया था। पाकिस्तान को भागना पड़ा था और इस तरह से भारतीय सेना को विजय मिली थी। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में अब्दुल हमीद का जन्म हुआ था। अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में हुआ था। उनके पिता मोहम्मद उस्मान पेशे से दर्जी थे। सेना में आने से पहले अब्दुल हमीद अपने पिता के काम में मदद किया करते थे। हमीद 20 साल की उम्र में वाराणसी में सेना में भर्ती हुए थे। पहला युद्ध चीन से लड़े थे, निसाराबाद ग्रिनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर में प्रशिक्षण के बाद 1955 में हमीद 4 ग्रेनेडियर्स में तैनात कर दिये गये। 1962 में भारत-चीन युद्ध में उन्होंने थांग ला से 7 माउंटेन ब्रिग्रेड, 4 माउंटेन डिविजन की ओर से भाग लिया। पंजाब में तैनात थे, चीन से युद्धविराम के बाद हमीद अंबाला में कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार नियुक्त हुयें। 8 सितम्बर 1965 को जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया उस समय हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के केमकरण सेक्टर में तैनात थे। वह पाकिस्तान के साथ युद्ध से पहले 10 दिन के लिये छुट्टी पर घर आये थे। रेडियो से सूचना मिली तो हड़बड़ी में जंग के मैदान में जाने को बेताब हो गये। घरवालें मना करते रह गयें। जाते वक्त कई अपशगुन हुए, उनकी बेडिंग खुल गयी। साइकिल पंचर हो गयी लेकिन भोर में वो निकल ही गये और जिस जांबाजी से उन्होंने लड़ाई लड़ी वो फिर सबको पता है। ध्वस्त कर दिये पैटन टैंक थे। पाकिस्तान ने उस समय के अमेरिकन पैटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। उस वक्त ये टैंक अपराजेय माने जाते थे। लेकिन अब्दुल हमीद ने कम संसाधनों के बावजूद भी पाकिस्तान सेना में तबाही मचा दी। अब्दुल हमीद की जीप 8 सितम्बर 1965 को सुबह 9 बजे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों से गुजर रही थी। वह जीप में ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठे थे। उन्हें दूर से टैंक के आने की आवाज सुनाई दी। कुछ देर बाद उन्हें टैंक दिख भी गयें। वह टैंकों के अपनी रिकॉयलेस गन की रेंज में आने का इंतजार करने लगे और गन्नों की आड़ का फायदा उठाते हुए फायर कर दिया। अब्दुल हमीद के साथी बताते हैं कि उन्होंने एक बार में 4 टैंक उड़ा दिये थे। उनके 4 टैंक उड़ाने की खबर 9 सितम्बर को आर्मी हेडक्वार्टर में पहुंच गई थी। उनको परमवीर चक्र देने की सिफारिश भेज दी गई थी। वतन की हिफाजत के लिए हो शहीद अब्दुल हमीद ने 10 सितम्बर को तीन और टैंक नष्ट कर दिये थे। जब उन्होंने एक और टैंक को निशाना बनाया तो एक पाकिस्तानी सैनिक की नजर उन पर पड़ गई। दोनों तरफ से फायर हुए, पाकिस्तानी टैंक तो नष्ट हो गया, लेकिन अब्दुल हमीद की जीप के भी परखच्चे उड़ गयें। इस तरह से भारत माता के लाल वतन की हिफाजत के लिए शहीद हो गयें।
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