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गेस्ट कालम
18 सितम्बर 2023 दिन- सोमवार, सायं 7 बजे फैज़- ए-आम लाइब्रेरी, खजुरिया रोड, सिद्धार्थनगर में एक अदबी नशिस्त का आयोजन किया गया।
जिसकी सदारत सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो अब्दुल हफ़ीज़ साहब ने किया।
और मेहमाने ख़ास के तौर पर जनाब अलीमुद्दीन साहब (सेल टैक्स ऑफिसर) मौजूद रहे।
नशिस्त की निज़ामत मूनिस फैज़ी साहब ने किया और और नशिस्त का एहतमाम शिवसागर सहर ने किया।
शायरों के कुछ चुनिंदा अशआर..
1-हल्के में ले रहे हैं नये शाइरों को आप
इनमें तो अदब के लिए इम्कान बहुत है
~ Shivsagar Sahar
2-दिल्ली के मुहल्लों में भटकता हूँ शबो -रोज़
मैं मीर की ग़ालिब की ज़बाँ ढूढ रहा हूँ।
Shadab Shabbiri
3- बेझिझक चले आओ मत इधर-उधर देखो
मुफ़लिसों के छप्पर में कैमरा नहीं होता
– नूर कासमी साहब
4- पुरानी राह पर चलते रहोगे तुम कब तक
जहाने नौ में नई रहगुज़र तलाश करो
– सालिक बस्तवी साहब
5- ज़िन्दगी मुस्तक़िल अज़ाब सी है
हंस के कैसे जिया करे कोई
– डॉ एफ रहमान यास
6- उम्मीदे, वफ़ा आख़िर अब किससे हम करें
मिलते हैं दोस्तों के तेवर अलग-अलग
-डॉ जावेद कमाल साहब
7- रफ़्ता-रफ़्ता दिल को मेरे तूने घायल कर दिया
अच्छा खासा था मैं बंदा तूने पागल कर दिया
– Naushad Azmi
8- अपने हाथों अपनी दुर्गत कौन करे
सच कहने की बोलो हिम्मत कौन करे
– Sanghasheel Jhalak
9- जहाँ इंसानियत, इज्ज़त, मोहब्बत हम नहीं पाते
तो फिर भूल कर भी ऐसी जगहों पर नहीं जाते
– डॉ नियाज़ आज़मी
10- ये मुमकिन नहीं की क़सम तोड़ देंगे
तेरा नाम लेके क़लम तोड़ देंगे
– Sumbul Hashmi (गोरखपुर)
11- उनकी तस्वीर ही इक बर्क़े तजल्ली निकली
रूबरू उनकी कभी ज़ात न होने पाई
– Javed Sarver साहब
12- यह जो सूरज सी ताबो ताब हैं रखने वाले
अपनी आँखों में तेरे ख़्वाब हैं रखने वाले
– रियाज़ क़ासिद
13- वाइज़ को भी तलब है शराबे तहूर की
मैंने भी एक जाम उठाया तो क्या हुआ
– Ashfaq Ibrahim
14- चमन में पेड़ लगाए जिन्होंने काँटों के
वो बात करते हैं मूनिस से रातरानी की
-मूनिस फैज़ी
द ग्रेट इंडिया फाउंडेशन स्कूल के संचालक और बेहतरीन इस्लामी स्कालर नूरुल्लाह ख़ान साहब और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद नदवी साहब एडीटर रोज़नामा मशरिकी़ आवाज़ जदीद एवं समाजसेवी हर दिल अज़ीज़ बड़े भाई Dheeraj Gupta आदि उपस्थित रहे |
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