जिस तरह से विकसित भारत संकल्प यात्रा में आवास पाने की चाहत रखने वाले पात्र व्यक्तियों की एक भीड़ सी दिखती है इस हिसाब से यह कहना ही पड़ेगा कि गांव में वोट की राजनीति पात्र व्यक्तियों पर भारी पड़ रही है उनके हक अधिकार किसी और को दे दिया जाता है और पात्र व्यक्ति मुंह ताकता रह जाता है।
Kapilvastupost
केन्द्र व राज्य सरकार कितनी भी कोशिश कर ले लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए लेकिन जिम्मेदार उस में पलीता लगाने से नही चूकते।
सरकार गरीबों को आवास सुविधा उपलब्ध करवाती है। और उसका पालन जिम्मेदार कैसे करते हैं यह देखने पर पता चलता है। विकास खंड खुनियांव के गांव केरवनिया में एक घर ऐसा भी है जहां पर 6 साल से आज भी मिट्टी की दीवार के ऊपर प्लास्टिक तिरपाल की छत डाल कर एक परिवार रह रहा है। कच्चा मकान कभी भी गिर सकता है लेकिन आज तक कोई भी जिम्मेदार की निगाह गरीब के झोपड़ी पर नही पड़ी।
महिला का बयान है कि उसने ग्राम प्रधान,ग्राम सचिव से कई बार कहा लेकिन गरीब की सुनवाई नहीं हो रही। खण्ड विकास अधिकारी से जब पूछने की कोशिश की गई तो कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुए।