रसोईया व शिक्षा मित्र के सहारे प्राथमिक विद्यालय भटौली,सहायक अध्यापक बेखौफ
शिकायत के क्रम मे पक्ष पूछने गए पत्रकार से भी अभद्र व्यवहार करनें का आरोप । अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए विभाग सख्त कार्रवाई के बजाय लगा रहा लीपापोती का जुगाड । बीएसए व एसडीआई द्वारा कार्रवाई का दिया गया आश्वासन ।
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कपिलवस्तु / सिद्धार्थ नगर : प्रदेश सरकार भले ही शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कर रही है तमाम प्रयास।बर्डपुर बीआरसी अंतर्गत स्थिति प्राथमिक विद्यालय भटौली का मामला।अभिभावक दीपेंद्र पांडेय द्वारा 14 मार्च 2022 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सिद्धार्थ नगर को लिखित प्रार्थना पत्र के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय भटौली में सहायक अध्यापक अतुल पांडेय द्वारा नियमों के घोर उल्लंघन के संबंध में अवगत कराया गया है।
अभिभावक के अनुसार 15-15 दिन नहीं आते शिक्षक,कई बार उपरोक्त के सम्बंध में शिकायत पर कार्रवाई के बजाय विभाग द्वारा आश्वासन की पिलाई जाती है घुट्टी।शिकायत के बाद शिक्षक द्वारा अभिभावक को दी जा रही धमकी।
पत्रकार से अभद्रता का आरोप-
जनहित में शिकायत के आधार पर जब पत्रकार सहायक अध्यापक का पक्ष जाननें के लिए विद्यालय पहुंचते हैं तो शिक्षक द्वारा किया जाता है अभद्र व्यवहार,और दिया जाता है धमकी।इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया जा चुका है और अब देखना है कि कार्रवाई का स्तर क्या रहता है?आप स्वयं सहायक अध्यापक की दबंगई का अंदाजा लगा सकते हैं क्योंकि जब वह एक पत्रकार को अपना पक्ष बताने़ के बजाय देता है धमकी तो एक अभिभावक से कैसा बर्ताव करता होगा?
समस्या विभागीय लापरवाही का परिणाम –
एक अभिभावक द्वारा जब विभाग को समस्या के संबंध में अवगत कराया जाता है तो सर्वप्रथम विभाग का दायित्व होता है कि समस्या के प्रति गंभीरता का परिचय दे परंतु ऐसा नहीं होनें पर शिकायतकर्ता का मनोबल गिरता है और आरोपी का बढता है।विभागीय लापरवाही का ही परिणाम है यह गंभीर समस्या और जब एक अभिभावक को लिखित शिकायत करना पड रहा है।
एक तरफ तो विभाग नित नए गुड वर्क का दावा करता रहता है और दूसरी तरफ अंदर से देखनें पर समस्याओं का अंबार दिखाई पड रहा है।विभाग के ढुलमुल रवैया से बढ़ रहा शिक्षक का मनोबल 11 बजे के बाद कभी-कभी आ जाते हैं शिक्षक।सरकारी स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ किया जा रहा खिलवाड़।प्राथमिक विद्यालय खुले तो,लेकिन शिक्षकों की आरामतलबी की नहीं छूट रही है आदत।
रसोईया व महिला शिक्षा मित्र ही सहारा-
रसोइया समय से खोलती है विद्यालय और महिला शिक्षा मित्र भी रहती हैं उपस्थित।एक रसोईया सभी जिम्मेदारियों का कर रही है निर्वहन और जिम्मेदार कर रहे हैं मौज,ऐसा तभी संभव है जब ऊपर से हरी झंडी मिली हो अन्यथा ऐसी कल्पना भी एक सहायक अध्यापक नहीं कर सकता है। अभिभावक द्वारा बताया गया कि अनेकों बार समस्या से अवगत कराया जा चुका है और कार्रवाई नहीं किया गया है।यदि किसी सहायक अध्यापक के खिलाफ शिकायत मिल रही है और उस पर विभागीय कार्रवाई नहीं किया जा रहा है इसके बावजूद उसका मनोबल बढाया जा रहा है।इस प्रकार के क्रियाकलापों से केवल विद्यालय में ही नही अव्यवस्था उत्पन्न होगी बल्कि विभाग पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह लगेगा।