सिद्धार्थ नगर – शोहरतगढ़ सीएचसी अधीक्षक सौरभ चतुर्वेदी पर लगे गंभीर आरोप, विधायक से की गई शिकायत

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शोहरतगढ़ (सिद्धार्थनगर) – क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) अधीक्षक सौरभ चतुर्वेदी के खिलाफ स्वास्थ्य कर्मियों ने गंभीर शिकायत दर्ज कराई है। कर्मचारियों का आरोप है कि सौरभ चतुर्वेदी अक्सर नशे की हालत में ड्यूटी पर आते हैं और कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करते हैं।

स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अभद्रता, कामकाज में लापरवाही

स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि अधीक्षक सौरभ चतुर्वेदी न सिर्फ कर्मचारियों को अनुचित तरीके से प्रताड़ित करते हैं, बल्कि मरीजों के इलाज में भी लापरवाही बरतते हैं। उनका व्यवहार अत्यंत अशोभनीय है, जिससे अस्पताल का माहौल खराब हो रहा है।

बिना उचित योग्यता के अधीक्षक बनने का आरोप

शिकायतकर्ताओं के अनुसार, सौरभ चतुर्वेदी के पास अधीक्षक बनने की उचित योग्यता नहीं है, फिर भी उन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया गया। उनकी कार्यशैली से न केवल अस्पताल में अव्यवस्था फैल रही है, बल्कि मरीजों को भी गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

विधायक से की गई शिकायत

स्वास्थ्य कर्मियों ने शोहरतगढ़ के विधायक से इस मामले की शिकायत की है और मांग की है कि सौरभ चतुर्वेदी को तत्काल पद से हटाया जाए। अगर प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो स्वास्थ्य कर्मी बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।

प्रशासन कब लेगा सख्त कदम?

सीएचसी जैसी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा में एक अयोग्य और गैर-जिम्मेदार अधिकारी का होना पूरे चिकित्सा तंत्र के लिए खतरा है। अगर प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इससे क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है। अब देखना यह है कि क्या शासन इस मामले में हस्तक्षेप कर सौरभ चतुर्वेदी के खिलाफ कार्रवाई करेगा या फिर स्वास्थ्य कर्मियों को संघर्ष जारी रखना होगा?

बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) शोहरतगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर लूट-खसोट जारी है। अधीक्षक सौरभ चतुर्वेदी के कार्यकाल में अस्पताल में उपलब्ध दवाएं मरीजों को देने के बजाय बाहर से लिखी जा रही हैं, जिससे दवा माफियाओं को फायदा पहुंचाया जा रहा है। इतना ही नहीं, डिलीवरी जैसी जरूरी सेवाओं के लिए भी मरीजों से अवैध रूप से पैसे वसूले जा रहे हैं, जबकि ये सेवाएं सरकारी तौर पर मुफ्त होनी चाहिए।

स्वास्थ्य कर्मियों और स्थानीय लोगों में बढ़ते आक्रोश के बावजूद प्रशासन की चुप्पी यह सवाल खड़ा करती है कि क्या सौरभ चतुर्वेदी को किसी का संरक्षण प्राप्त है? मरीजों के शोषण और भ्रष्टाचार के इन मामलों पर अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो सरकार की ‘निशुल्क स्वास्थ्य सेवा’ का मजाक ही बनेगा।

 

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