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गुरु जी की कलम से
बढ़नी, सिद्धार्थनगर।
8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पावन अवसर पर, भारत-नेपाल सीमा के बढ़नी बॉर्डर पर एक अद्वितीय और मनमोहक दृश्य देखने को मिला।
जहां, भारत और नेपाल दो पड़ोसी देशों की महिला शक्ति ने आपसी सौहार्द और सहयोग का अद्भुत प्रदर्शन किया। एसएसबी 50वीं वाहिनी की जांबाज महिला आरक्षियों और नेपाल पुलिस/आर्म्ड पुलिस फोर्स की वीर महिला सदस्यों , नेपाली संस्थाओं आफन्त और पीआरसी की सशक्त महिलाओं ने साथ मिलकर, इस दिन को एक यादगार उत्सव में बदल दिया।
इस अवसर पर पुष्प गुच्छों की खुशबू, उपहारों की मिठास और गले मिलते हुए स्नेह के क्षणों ने सीमा पर एक ऐसा वातावरण निर्मित किया, जो सदियों तक लोगों के दिलों में बसा रह
यह कार्यक्रम मात्र एक उत्सव नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और एकता का जीवंत प्रतीक था।
करूणा खत्री, विपणना सुनार, सुमित्रा भंडारी, संतोषी चौधरी, संज्ञा अधिकारी और भीमा परिहार जैसी महिलाओं की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया।
उन्होंने यह साबित कर दिया कि महिलाएँ न केवल अपने परिवारों की बल्कि पूरे समाज की रीढ़ हैं। एसएसबी 50वीं वाहिनी के इंस्पेक्टर भूपेंद्र कुमार और सब इंस्पेक्टर अंकित सिंह के मार्गदर्शन में, विश्वभरती, प्रियंका भारती और समीक्षा जैसी महिला आरक्षियों ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का परिचय दिया। वहीं, नेपाल की ओर से इंस्पेक्टर सूरज खत्री, उप निरीक्षक विनोद बहादुर शाही, एपीएफ इंस्पेक्टर अर्जुन कुंवर, ऊषा खनाल, सृजना सापकोता और सृष्टि मुखिया ने भी अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम को सफल बनाया।
यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सच्ची भावना का प्रकटीकरण था। यह दिन, जो विश्व भर में महिलाओं के अधिकारों और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाता है, बढ़नी बॉर्डर पर एक नए रूप में सामने आया है। यहाँ, महिलाओं ने न केवल अपनी शक्ति और सामर्थ्य का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी दिखाया कि वे शांति और सद्भाव की प्रतीक हैं। इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि जब महिलाएँ एक साथ आती हैं, तो वे न केवल सीमाओं की रक्षा करती हैं, बल्कि दिलों को भी जोड़ती हैं। यह एक ऐसा दृश्य था, जो हमें यह याद दिलाता है कि महिलाएँ ही वह शक्ति हैं जो परिवार समाज देश और दुनिया को बेहतर बना सकती हैं।