सिद्धार्थनगर: आग का तांडव जारी, पर क्या ग्रामीणों के हौसले ही एकमात्र सहारा?

महेंद्र कुमार गौतम की रिपोर्ट

सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश के इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटे सिद्धार्थनगर जिले में गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही आगलगी की घटनाएं भयावह रूप ले लेती हैं। हर साल हजारों एकड़ फसल राख हो जाती है, सैकड़ों आशियाने जलकर खाक हो जाते हैं, और कई परिवारों की खुशियां पल भर में बर्बाद हो जाती हैं। लेकिन इन घटनाओं से निपटने के लिए अग्निशमन विभाग की तैयारियां सवालों के घेरे में हैं।

फायर ब्रिगेड: संसाधन सीमित, जिम्मेदारी अनगिनत

करीब 25 लाख की आबादी और 2500 से अधिक गांवों वाले जिले में मात्र दो अग्निशमन केंद्र कार्यरत हैं। इन केंद्रों में न तो पर्याप्त दमकल गाड़ियां हैं और न ही प्रशिक्षित कर्मियों की संख्या पर्याप्त है। हालात यह हैं कि जर्जर हो चुकी दमकल गाड़ियां जब मौके पर पहुंचती हैं, तब तक सबकुछ जलकर खाक हो चुका होता है।

फायर ब्रिगेड की मौजूदा स्थिति:

सिद्धार्थनगर जिले में सिर्फ 2 फायर स्टेशन

सक्रिय दमकल गाड़ियों की संख्या बेहद कम

पुरानी और धीमी दमकलें, जिससे समय पर पहुंचना मुश्किल

फायरमैन की कमी, जिसके कारण आग बुझाने में देरी होती है

ग्रामीण इलाकों में आग बुझाने के लिए कोई वैकल्पिक सुविधा नहीं

क्या सरकार की योजनाएं कागजों तक सीमित?

सरकार ने हर तहसील में फायर स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह योजना कछुआ गति से आगे बढ़ रही है। कुछ स्थानों पर कार्य शुरू तो हुआ है, लेकिन गर्मी के इस मौसम में कार्य पूरा होने की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही।

ग्रामीणों के भरोसे अग्नि सुरक्षा?

जब प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी होते हैं, तो ऐसे में ग्रामीण अपने संसाधनों और हौसले के दम पर आग से लड़ने को मजबूर हैं। कई गांवों में लोग बोरिंग, पानी के टैंकर, बाल्टी और ट्यूबवेल के सहारे आग बुझाने का प्रयास करते हैं, लेकिन बिना आधुनिक संसाधनों के यह कोशिश कई बार नाकाम साबित होती है।

समाधान क्या हो सकता है?

हर तहसील में कम से कम एक फायर ब्रिगेड सेंटर की स्थापना हो

नई दमकल गाड़ियां और आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं

गांवों में स्थानीय स्तर पर फायर सेफ्टी ट्रेनिंग दी जाए

फसल कटाई के समय विशेष निगरानी और सुरक्षा उपाय लागू हों

कब मिलेगा राहत?

हर साल गर्मी में जिले के किसान, मजदूर और आम लोग इस सवाल के साथ खड़े रहते हैं कि आखिर कब तक उन्हें आग के इस तांडव से खुद ही लड़ना पड़ेगा? सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे फायर ब्रिगेड व्यवस्था को मजबूत करें, ताकि भविष्य में किसी गरीब की मेहनत और किसी का आशियाना यूं ही राख में न बदले।

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