कुलपति ने किया पुस्तक का विमोचन
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय स्थित दीनदयाल शोध पीठ के तत्वधान में नारी विमर्श एवं उसका यथार्थ विषय पर शोध पीठ की निदेशक प्रोफेसर मंजू द्विवेदी द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन संपन्न हुआ।
पुस्तक का विमोचन करते हुए कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी शिक्षक के जीवन में पुस्तक लेखन और उसका लोकार्पण और समाज तक उसकी पहुच का बहुत ही मूल्य होता है। रचना धर्मिता शिक्षक की स्वाभाविक पहचान होनी चाहिए। प्रोफ़ेसर मंजू द्विवेदी द्वारा शोध पीठ में अल्प समय में काम करते हुए पुस्तक की रचना करना और उसका प्रकाशन करा लेना यह उनकी क्षमता का परिचायक है।
पुस्तक का विषय भी बहुत ही समचीन है। आज पूरी दुनिया स्त्री विमर्श पर चर्चा कर रही हो। 21वीं सदी को स्त्री विमर्श के सदी के रूप में देख रही हो। ऐसे में नारी विमर्श और उसका यथार्थ विषय पर पुस्तक का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। जबकि भारत में प्राचीन काल से नारियों के प्रति अत्यंत ही सम्मान का भाव समता का भाव रहा है।
भारत की ऋषि परंपरा में नारी देवी स्वरूप में स्वीकार की गई है। आज भी परिवार के अंदर नारी का सर्वोच्च स्थान है। लेकिन आज के बाजारवादी भौतिकवादी आधुनिक युग में जहां नारी दुनिया के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़कर अपना परचम लहरा रही हैं। लेकिन इसके साथ-साथ उनके समक्ष चुनौतियां भी बढ़ी है। उन चुनौतियों के समाधान में समाज के प्रत्येक हिस्से की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है।
ऐसे में यह पुस्तक केवल विद्यार्थियों और शिक्षण संस्थाओं के लिए बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर पुस्तक की लेखिका एवं शोध की निदेशक प्रो मंजू द्विवेदी ने कहा कि मेरा प्रयास रहा है कि प्रतिवर्ष किसी ऐसे समसामयिक मुद्दों को लेकर एक पुस्तक लिखी जाए।पुस्तक की भूमिका एमबीए विभाग के प्रोफेसर सौरव ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉक्टर अमरेंद्र कुमार सिंह, प्रोफेसर दीपक बाबू, प्रोफेसर देवेश कुमार, प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा, प्रोफेसर प्रकृति राय, डॉक्टर शिवम शुक्ला, वित्त अधिकारी अजय सोनकर सहित शिक्षक एवं अधिकारी उपस्थित रहे।