भ्रष्टाचार की मार से बाढ़ पीड़ित किसान दोहरी मुसीबत में, मुआवजा देने के बदले ली जा रही रिश्वत
kapilvastupost
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले में बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए सरकार द्वारा घोषित मुआवजे का लाभ उठाने के लिए अब उन्हें भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के गरीब किसान, जो बाढ़ के कारण पहले से ही तबाह हो चुके हैं, अब सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की चपेट में आ गए हैं।
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब विकास खण्ड बढ़नी अंतर्गत पकड़ीहवा गाँव के कई किसानों ने आरोप लगाया कि मुआवजा दिलाने के बदले में लेखपाल ने उनसे अवैध रूप से पैसे ऐंठे हैं। ये आरोप साबित करते हैं कि प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार किस हद तक गरीब और मजबूर किसानों के हक को छीन रहा है।
पिछले माह आई भीषण बाढ़ के कारण कई गाँव में फसलें तबाह हो गयी फसलें बर्बाद हो जाने से किसानों की हालत पहले से ही दयनीय थी। वे सरकार की तरफ से मिलने वाले मुआवजे पर ही निर्भर थे, जिससे उन्हें अपने नुकसान की भरपाई करने में मदद मिल सके। लेकिन, लेखपाल द्वारा रिश्वत मांगने की खबर ने किसानों को और भी परेशान कर दिया है।
कई किसानों ने बताया कि लेखपाल ने मुआवजा राशि जारी करने के लिए 500 से 1,000 रुपये तक की मांग की। इनमें से कई किसान इतने गरीब हैं कि उनके पास अपने परिवार का पेट भरने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में, मुआवजा मिलने के बजाय उनसे रिश्वत मांगना उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय है।
स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे अधिकारियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। बाढ़ पीड़ित किसानों के अधिकारों की रक्षा करने में प्रशासन विफल साबित हो रहा है, जो कि चिंताजनक है।
किसानों ने इस मामले की शिकायत रिपोर्टर के माध्यम से जिले के उच्च अधिकारियों से की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। किसान संघ और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है और लेखपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बत्ताते चलें कि लेखपाल ओम प्रकाश ने बाढ़ पीड़ित किसानों से एक माह के अन्दर तीन तीन बार कागजात इकठ्ठा किये बावजूद इसके अभी तक पकडीह्वा गाँव के किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है | बाढ़ पीड़ितों के साथ हुए इस भ्रष्टाचार के मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कैसे सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक पहुंचने से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।
यदि इस पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका गंभीर असर समाज और किसानों पर पड़ेगा। जिलाधिकारी को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो |