होली के अवसर पर मिलावटी खोए और केमिकल वाले रंगों से पटा बाजार जरा सी लापरवाही कर देगी बीमार

गुरु जी की कलम से

बढ़नी सिद्धार्थनगर
होली पर इस बार भी बाजार में मिलावटी खोए से बनी हुई मिठाइयां और रासायनिक रंगों की भरमार है। याद मिलावटी मिठाइयो और केमिकल रंगों से अपने दूरी नहीं बनाया तो आप बीमार भी हो सकते हैं
बाजार मे अधिकतर दुकानों पर विभिन्न प्रकार केआकर्षक पैकिंग में सजे रासायनिक रंग, अबीर-गुलाल ही दिख रहे हैं।

इनमें कुछ ब्रांडेड हैं तो तमाम बिना बडेड खुलेआम बिक रहे हैं। होली के त्योहार पर हर कोई दिल खोलकर मिठाई रंग और अबीर-गुलाल की खरीदारी करने में लगा है।

लोग मिलावटी को मिठाईयों और केमिकल से बने हुए रंगों होने वाले नुकसान के बारे में वाकिफ है, मगर इस से होने वाले नुकसानों को जानकर भी लोग नजर अंदाज कर रहे हैं ।

हर्ष और उमंग बढ़ाने वाले इस त्योहार में जरा सी असावधानी बरतने पर खुजली, आंख, चर्म, अस्थमा, ब्लड प्रेशर और घबराहट जैसी दिक्कत होते देर नहीं लगेगी।

ऐसे में बेहद सस्ते और हर जगह मौजूद फूल पत्तियों से ऐसा रंग तैयार किए जा सकते हैं जिन रंगों के प्रयोग से एक तो आप जहरीले रसायनों से महफूज रहे गे, बल्कि चेहरा ही नहीं पूरी की पुरी शरीर दोगुना अधिक दमक उठेगी।

प्रदूषण भरे माहौल में ईको-फ्रेंडली कही जाने वाली प्राकृतिक रंगों की इस होली को अब नजर अंदाज करना ठीक नहीं है प्राकृतिक रंगों के लिए, आप लाल रंग के लिए लाल गुड़हल, चुकंदर, टमाटर या गाजर का उपयोग कर सकते हैं, पीला रंग हल्दी या गेंदे के फूलों से, और हरा रंग मेहंदी या पालक से प्राप्त कर सकते हैं आप चाहे तो प्राकृतिक रंगों को घर पर ही बना सकते हैं।

लाल गुड़हल के फूलों को छाया में सुखाकर उनका पाउडर बनाकर उसे लाल रंग चुकंदर को पीसकर पानी में उबालकर मैजेंटा रंग प्राप्त करें टमाटर या गाजर का रस का भी आप लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं अनार के छिलके को पीस कर लाल रंग प्राप्त किया जा सकता है चंदन के पाउडर को पानी में उबालकर भी लाल रंग प्राप्त किया जा सकता है।

इसी प्रकार हल्दी पाउडर को पानी में मिलाकर गेंदे के फूल की पंखुड़ियां को सुखाकर पीसकर पीला रंग मेहंदी पाउडर को पानी में मिलाकर हरा रंग पालक को पीसकर हरा रंग नीले रंग के लिए नीले गुड़हल के फूल को पीसकर नारंगी रंग के लिए टेसू के फूल को पीस कर नारंगी रंग गुलाब की पंखुड़ियां से गुलाबी रंग प्राप्त कर सकते हैं और इन रंगों का उपयोग करके आप अपने काया को स्वच्छ और निर्मल रख सकते हैं।

डॉ पीयूष राय उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी ने बताया कि रंगों में मिला केमिकल एलर्जी का कारक होता है, इसलिए हर्बल रंग बेहतर है। यदि कोई रंग लगा भी दे तो जबरन साबुन या सर्फ से नहीं रगड़ना चाहिए।

इससे त्वचा छिल सकती है। इन्फेक्शन का खतरा रहता है। रंग को साबुन या शैंपू से धीरे-धीरे हटाएं। इसके अलावा रंग खेलने से पहले त्वचा पर नारियल तेल लगाना चाहिए। इससे रंग आसानी से छूट जाता है।

जानकार बताते हैं कि हरा रंग कॉपर सल्फेट से, परपल क्रोमियम आयोडाइड, से सिल्वर एल्युमिनियम ब्रोमाइड से और काला रंग लेड आक्साइड को मिलाकर तैयार किया जाता है।

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