लाखों मे कोई एक लाल पैदा होता है – मौलाना के दोस्त गण
जाकिर खान
सिद्धार्थनगर । हिन्दुस्तान के विख्यात और सुप्रसिद्ध मुस्लिम स्कालर , इस्लाम के एक मशहूर विद्वान , थाना चिल्हिया अंतर्गत प्रतिष्ठित विद्यालय जामिया दारूल उलूम शिशहनिया के अरबी और उर्दू के अनुभवी शिक्षक एवं वक्ता कोतवाली लोटन क्षेत्र अंतर्गत अपने पैतृक ग्राम पांचायत कौलपुर ग्रांट मैनहवा के निजी कब्रिस्तान मे सोमवार की देर साम को हुए सुपुर्द -ए -खाक ।
जनाजे की नमाज में कई जनपदों के आलिमों का जमावड़ा लग गया । कौलपुर गावं के अलावा रिस्तेदार व आये हुए दोस्त ,रिस्तेदार , अहबाब , गावं ,जवार ,क्षेत्रों के लोगों मे मौलाना के मौत पर मलाल दिखा । लोग झुण्ड मे एक दूसरे से मौलाना के खूबियों को बयान करते दिखे ।
सल्फी साहब सुप्रसिद्ध मुस्लिम स्कालर के साथ साथ इस्लाम के एक मशहूर विद्वान तथा थाना चिल्हिया अंतर्गत प्रतिष्ठित अनुदानित विद्यालय जामिया दारूल उलूम शिशहनिया मे अरबी और उर्दू के अनुभवी शिक्षक भी थे । सल्फी साहब् का निधन सोमवार की प्रातः अचानक ह्रदय गति रुक जाने से उनका सोहास तेतरी रोड व पिथनी खुर्द मे मौजूद अपने निजी मकान मे घर पर हो गई थी ।
मौत से पूरे घर ,गांव व क्षेत्र मे कोहराम मचा हुआ था । सल्फी के छोटे भाई ने रोते हुए बड़े भाई मरहूम् सल्फी का जिक्र करते हुए बताया कि उनका बुनियादी शिक्षा दीक्षा गांव के बगल क्षेत्र की प्राचीन विद्यालय माहद मिफ्टहुल उलूम ग्राम व पोस्ट भिटपरा कोतवाली लोटन बाजार से हासिल करके ।
उच्च शिक्षा के लिए जामिया सल्फिया रेवनी तालाब बाराणसी से आलमियत और फजीलत की डिग्री ( स्नातक व प्रस्नातक एवं अन्य शिक्षा ) हासिल किया । उन्होंने आगे बताया की सल्फी साहब के पढ़ाए हुए छात्र कोई अलीम है। कोई डाक्टर है। कोई इंजीनियर है । कोई बेहतरीन हाफिज और अच्छा अधिवक्ता है ।
शिक्षा हासिल के दौरान ही वे जीनियस छात्रों मे शुमार थे । डिग्री हासिल के बाद वो घर नही आये वही से जनपद इलाहाबाद मे स्थित मऊ आईमा के एक बड़े कालेज मे बतौर गैर सरकारी शिक्षक के रूप मे तैनाती हो गई । जहां पर दो वर्षों तक शिक्षण कार्य किया । इसके आलावा मौलाना सूब -ए – उत्तर प्रदेश के कई जनपद के स्कूलों मे शिक्षण कार्य और इस्लामिक प्रवचन का कार्य निरंतर करते रहे ।
काफी समय तक सिद्धार्थनगर रेलवे स्टेशन के सामने जामा मस्जिद मे खेताब और इमामत का कार्य किया है । सूत्रों के हवाले से मालूम हुआ है कुछ समय बाद वर्ष 1994 मे थाना चिल्हिया के ग्राम सिसहनिया मे मौजूद अनुदानित जामिया दारुल उलूम मे बतौर वरिष्ठ अरबी शिक्षक के रूप मे तैनाती हो गई । जहां पर अनवरत रूप 07/05/ 2023 तक निरंतर शिक्षण कार्य मे लिप्त रहे ।
08/05/2023 दिन सोमवार की सुबह अचानक मौलाना साहब की सेहत बिगड़ी आप की हृदय गति रुकने से मौत हो गई । अपने पीछे सल्फी साहब 6 लड़की और 3 लड़के छोड़ गये हैं । जिनमे से 4 बड़ी बेटियों की विवाह / निकाह हो चुका है । शेष सभी 3 बेटों की अभी शिक्षा ग्रहण करते रहे हैं ।