होम्योपैथी चिकित्सा भविष्य में एक नंबर पर होगी – डॉक्टर भास्कर शर्मा

होम्योपैथी चिकित्सा का रोगों के इलाज के क्षेत्र में आज भी अपनी पैठ बनाए हुवे है पर समय के साथ इसकी व्यापकता और विस्तार लोगों में घट रहा है जिसको लेकर डॉक्टर भास्कर शर्मा लगातार अपने प्रयासों से चिकित्सा क्षेत्र में होम्यो पैथी चिकित्सा प्रणाली का अपने खोज रिसर्च के माध्यम से विश्व को संजोने की कोशिश में लगे हुवे हैं।

डॉ० भास्कर शर्मा को बेस्ट इंटरनैशनल होम्योपैथिक डॉक्टर अवॉर्ड मिला

निजाम अंसारी

डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। होम्योपैथी से रोगों को जड़ से मिटाया जा सकता है। क्रॉनिक डिजीज के सफल उपचार के लिए मरीज के वर्तमान हिस्ट्री लक्षणों के विवरण के साथ मरीज के इलाज के पहले दिन से लेकर इलाज पूर्ण होने तक की सभी रिपोर्ट, उपचार का रिकॉर्ड के साथ ही इलाज से पूर्व करायी गयी जांच रिपोर्ट से लेकर रोगमुक्‍त होने तक की जांच रिपोर्ट अनिवार्य रूप से शामिल करें, क्‍योंकि यही रिपोर्ट्स वे सबूत होते हैं जो आप द्वारा किये गये इलाज की सफलता की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि करते हैं। यह महत्‍वपूर्ण बातें शर्मा होम्योपैथिक चिकित्सालय एंड रिसर्च सेंटर इटवा सिद्धार्थनगर के चीफ कन्‍सल्‍टेंट डॉ० भास्कर शर्मा ने इंटरनेशनल ह्यूमन राइट एंड जस्टिस फेडरेशन महाराष्ट्र द्वारा 28 मई को सांगली में आयोजित इंटरनैशनल कांफ्रेंस हेल्थ केयर समिट एंड अवॉर्ड सेरिमनी में अपने सम्‍बोधन में दी। हेल्थ केयर समिट में देश भर से आये हुए चिकित्‍सकों ने अनेक प्रकार के रोगों के इलाज को लेकर अपना प्रस्‍तुतिकरण दिया। डॉ० भास्कर शर्मा ने कहा कि होम्‍योपैथी के दम को साइंटिफि‍क कसौटी पर खरा साबित करने के लिए रोगी के दस्‍तावेजों को सबूत के तौर पर रखना होगा। डा० भास्कर शर्मा ने यह भी कहा कि सिर्फ रोगी के कथन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबूत नहीं माना जा सकता है। ज्ञात हो डॉ० भास्कर शर्मा के रिसर्च वर्क का सफर उनकी होम्‍योपैथी शिक्षा के दौरान ही प्रारम्‍भ हो गया था। अब तक विभिन्‍न प्रकार के रोगो में एक्‍सपेरिमेंटल रिसर्च कर डॉ० भास्कर शर्मा देश ही नहीं विदेशों में भी अपने कार्य का लोहा मनवा चुके हैं। उन्‍होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि कई रोगी उनके पास किडनी में पथरी की शिकायत लेकर आए, मैंने उसका अल्‍ट्रासाउंड कराया तो पथरी होने की पुष्टि हुई, उसका उपचार शुरू किया गया, कुछ दिन बाद आकर रोगी ने कहा कि उसकी पथरी निकल गयी, उसने एक पत्‍थर दिखाते हुए कहा कि यह पेशाब में निकला है। मैंने उससे कहा कि एक अल्‍ट्रासाउंड करा लीजिये तो मरीज का कहना था कि मुझे अब आराम है, मैं कह रहा हूं तो इसकी क्‍या आवश्‍यकता है, इस पर मैंने उस रोगी को अल्‍ट्रासाउंड जांच का शुल्‍क देते हुए उससे जांच कराने को कहा, उसने जांच करायी तो अल्‍ट्रासाउंड रिपोर्ट में देखा कि पथरी नहीं थी, यह एक वैज्ञानिक सबूत हुआ कि उपचार से पूर्व अल्‍ट्रासाउंड रिपोर्ट में जो पथरी दिख रही थी, वह अब नहीं है। डॉ. भास्कर शर्मा ने कहा कि इस तरह डॉक्‍यूमेंटेशन करने के बाद इन्‍हें प्रतिष्ठित जर्नल में छपवाने के लिए भी आवेदन करें, इसका लाभ यह होगा कि आपके कार्य को राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍यता मिलेगी, साथ ही चूंकि जर्नल में छपने की इस प्रक्रिया के लिए आपके दावे के दस्‍तावेजों को दूसरे विशेषज्ञों द्वारा अनेक प्रकार की कसौटी पर परखा जायेगा, जिसके बाद आपकी उपलब्धियों का वह दस्‍तावेज 24 कैरेट सोने जैसा खरा बन चुका होगा। अंत में डॉ० शर्मा ने यह भी कहा कि मेरे रिसर्च पेपर इंटरनेशनल तथा नेशनल रिसर्च जनरल पबमेड, स्कोपस, पीर रिव्यूड रिसर्च जर्नल में सौ से अधिक रिसर्च पेपर पब्लिश्ड हो चुका है l

error: Content is protected !!
Open chat
Join Kapil Vastu Post
05:15