श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन लीलाधारी कृष्ण की झांकी देख झूम उठे श्रोता

संजय पाण्डेय

शोहरतगढ़/सिद्धार्थनगर

 विकासखंड शोहरतगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत मदरहना जुनूबी के महला चौराहे पर श्रीमद् भागवत कथा समापन के अंतिम दिन भगवान कृष्ण की कथा व दिव्य झांकी निकाली गई। कथा वाचक महाराज जी ने कहा भगवान द्वारकाधीश अपने भक्तों के खातिर कई कई लीला करते हुए उनके मन को आयोजित किया ।जब धर्म की हार होती अधर्म आगे बढ़ता देख भगवान विभिन्न अवतारों में अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए अवतार लेते हैं ।तमाम प्रकार की लीला करते हुए प्रभु अपने भक्तों का मान करते हैं। भगवान श्री कृष्ण के कई अवतार  है भगवान श्री कृष्ण द्वारिका में रहते हुए अपने जीवन शैली से बहुत सुंदर संदेश दिए। अपने जीवन में गाए मुस्कुराए और सदैव अपने जीवन आनंद में नृत्य करते रहें। सबसे प्रेम करते रहें ।भगवान की प्रेम लीला भक्ति की कथा है। प्रेम अवतार की कथा है ।भगवान ने संसार में सबको प्रेम सिखाया है । वसुधैव कुटुंबकम मेरा तेरा कान्हा छोड़कर सब वापस रहे प्रेम जगत का सार नहीं भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश की लीला का कथासार है ।भगवान को अपना सब कुछ समर्पित करके उन्हें से संबंध जोड़ लेने चाहिए।

सुदामा की गरीबी को भगवान ने दो मुट्ठी चावल खाकर दूर कर दिया। लंबे समय बाद जब भगवान सुदामा से मिले तो उनके आंसू को देखकर भाव विभोर हो गए। भगवान की कथा से जिव मृत से अभय प्राप्त होता है।  भजन ही भवसागर से पार करती है ।कथा व्यास कर्म श्रद्धा आचार्य श्री संतोष शुक्ला जी महाराज ने कही श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा सुनते हुए महाराज संतोष शुक्ला ने कहा कि मित्र के सुख दु:ख को अपना सुख दु:ख समझना चाहिए जोना मित्र सुख दु:ख में होहि दुखारी । तिन्हहि विलोकत पटक हमारी।

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