बारिश न होने और तेज गर्म हवाओं के साथ आसमान से बरस रहे आग के गोलों से आम जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है।ऊपर से बिजली कटौती ने इस भयंकर गर्मी में कोढ़ में खाज का काम बेहतरीन तरीके से अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इंसान तो इंसान जानवर भी पानी के लिए तरस रहे हैं।गांवों में लाखों रुपए से निर्मित सरोवर सूख चुके हैं, नहरे बेपानी हैं,बाढ़ का कोहराम मचाने वाली बूढ़ी राप्ती और राप्ती नदी सहित सभी नदी नाले मृतप्राय हो चुके हैं।किसान धान का बेहन डालकर आसमान के तरफ टकटकी लगाकर सब कुछ भाग्य पर छोड़ चुके हैं, यदा कदा किसान पम्पिंग सेट से अब भी अपनी फसलों की आस में धरती से नीर चूसकर खेतों की प्यास बुझाने में लगे हुए हैं लेकिन कुदरत के आगे बेबस नजर आ रहे।ऊपर से बिजली कटौती ने सरकारी ट्यूबवेल सहित आम जनमानस के रातों की नीद भी गायब कर चुका है।
जी आपने बिलकुल सही पढ़ा,ये कोई कहानी नहीं,बांसी तहसील क्षेत्र का आंखों देखा हाल है। जहां पिछले कुछ दिनों से आसमान से आग के गोले बरस रहे, पारा चढ़कर 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है और 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही तेज गर्म पछुआ हवाओं ने चारों तरफ झुलसने जैसा वातावरण बना दिया है।