Skip to content
———————————–
राजनेताओं को व्यक्ति-विशेष , जाति-विशेष और धर्म- विशेष पर टिप्पणी नहीं करना चाहिए , इससे वैमनस्ता फैलती है
———————————–
जाकिर खान
सिद्धार्थनगर । सदन मे 21 सितंबर को बिहार के आर० जे०डी० सांसद मनोज झा द्वारा ठाकुर का कुआँ ” कविता के पाठ के छठवें दिन से देश मे उठा दिया हैं जाति का धुँआ । जो देश और समाज हित मे ठीक नहीं ।
विदित हो कि देश मे इन्ही राज नेताओ ने पहले हिन्दुओं और मुस्लिमों मे लड़ाया । फिर अगड़े और पिछड़े की लड़ाया । अब बारी है ब्राह्मण बनाम ठाकुर की लड़ाई ।
जिसकी शुरुआत 21 सितंबर से छठे दिन से बिहार से शुरु होकर देश के कोने कोने मे उठा दिया जाति का धुँआ ।
देश को क्या हो गया है ?
क्या होना था ?
क्या हो रहा है ?
लोग कहा करते थे कि भारत की दो खूबसूरत आँखे है । जिसकी एक आंख हिंदू है तो दूसरा आँख मुस्लिम है । इसी को सोने की चिड़िया भी कहा करते थे लोग । लेकिन अब न सोने कि चिड़िया हैं और न हि दो खूबसूरत आँखें । क्षत्रिय समाज बिहार के RJD सासद मनोज् झा के कविता पाठ से आहत है । दुबारा इस पूनरावृति को बर्दास्त नहीं किया जाएगा ।
राजनेताओं को व्यक्ति-विशेष , जाति-विशेष और धर्म- विशेष पर टिप्पणी नहीं करना चाहिए ।
उक्त बाते शनिवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान थाना उसका बाजार क्षेत्र के ग्राम ऊंचहरिया बाबू निवासी व राजपूत करणी सेना के पूर्व प्रदेश सचिव /भारतीय बौद्ध संघ प्रदेश संघठन महा सचिव आशुतोष सिंह श्रीनेत उर्फ़ चंदन ने सदन मे 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल पास होने के दौरान सांसद मनोज झा द्वारा ” ठाकुर का कुआँ “कविता के पाठ से
समुचा क्षत्रिय सामज आहत है बताते हुए कहा ।
उनहोंने आगे बताया कि जिस तरह से सासद मनोज झा द्वारा भारत के राजपूतो पर
ओछी मानसिकता वाली उल जलूल कविता का पाठ किया गया वो ठीक नही हैं । उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्हे देश का इतिहास पढ़ लेना चाहिए । फिर समझ मे आजाएगा कौन क्या है ।आगे सिंह ने कहा उन्हे अपने ज्ञान मे सुधार करने और वाणी पर सयम बर्तना चाहिए । ऐसी कविताओं के पाठ मे अपराध छुपा होता है ।
आगे उन्होंने कहा कि “कर्नल डाट ” के अनुसार यदि इतिहास से राजपूत शब्द हटा दिया जाय कुछ बचेगा ही नहीं । देश के जंगगे आजादी मे लगभग सभी का कुछ न कुछ सहभागिता रही है । किसी का कम तो किसी का थोड़ा अधिक । इसका मतलब नहीं कि थोड़ा ज्यादा सहभागिता करने वाले लोगों का ही देश पर अधिकार है। ऐसा कुछ नहीं । क्षत्रियों ने देश कि आन और बान के लिए अपनी प्राण कि आहुति दिया । तब जाकर देश आजाद हुआ ।
error: Content is protected !!