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kapilvastupost
बढ़नी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय मोहनकोली में तैनात प्रधानाध्यापक के निलंबन के विरोध में मंगलवार को ग्रामीणों ने विद्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने विद्यालय को घेरकर विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विद्यालय में अपने-अपने बच्चों को पढ़ने के लिए न भेजने की चेतावनी दी और निलंबित प्रधानाध्यापक अब्दुल हफ़ीज के बहाली के लिए आवाज़ उठाया।
निलबिंत प्रधानाध्यापक अब्दुल हफ़ीज द्वारा विभाग के आदेश के अनुपालन में सम्बद्ध विद्यालय मटियार उर्फ भुतहवा के लिए कार्यमुक्त होने की खबर लगते ही विद्यालय प्रबंधन समिति व भारी संख्या में छात्रों के अभिभावकों की भीड़ जुट गई।ग्रामीणों नेक्षेत्रीय विधायक को भी पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच कराकर शिक्षक के बहाली की मांग किया है।
बढ़नी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय मोहनकोली में अब्दुल हफीज प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं। उनके खिलाफ ग्राम प्रधान ने बीएसए को पत्र लिखकर उनके ऊपर कई आरोप लगाया था। जिसके बाद बीएसए देवेन्द्र पाण्डेय ने शोहरतगढ़ बीईओ संतोष कुमार शुक्ल को जांच के लिए नियुक्त किया।
बीइओ के जांचोपरांत बीएसए ने प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया। निलंबन आदेश की जानकारी प्रधानाध्यापक को आदेश जारी होने के बारह दिन बाद हुयी।
मंगलवार को जब वह विद्यालय से कार्यमुक्त होने के लिए विद्यालय पहुंचे ,तो इस मामले की जानकारी होते ही गांव के भारी संख्या में लोग विद्यालय को घेरकर खड़े हो गए। गांव के अब्दुल रउफ,घिराऊ, लवकुश यादव, ओरीलाल यादव, शिवकुमार, नन्दूप्रसाद, कटोरा, कपूरा आदि ने कहा कि प्रधान की निराधार शिकायत पर शिक्षक को निलंबित किया गया है।
अभिभावक व छात्र विद्यालय संचालन व्यवस्था व पढ़ाई लिखाई से संतुष्ट हैं। जाँच अधिकारी के सामने भी एसएमसी व अभिभावकों ने बात रखी थी, लेकिन छात्रों, अभिभावकों व एसएमसी के बयान को नजरअंदाज कर कार्यवाही की गयी।
गांव के अब्दुल अहद, श्रीराम, संजय कुमार, राधिका, निर्मला आदि ने बताया कि शिक्षक समय से विद्यालय आते हैं। स्वयं टोले में घूम-घूमकर बच्चों को विद्यालय लाते हैं।
टोलेवासियों ने क्षेत्रीय विधायक विनय वर्मा से बात कर उनसे निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए निष्पक्ष जांच करवाते हुए गलत जांच रिपोर्ट देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी किया।
इस दौरान ग्रामीणों ने विद्यालय को घेरकर अन्याय के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अल्टीमेटम दिया कि अगर निलंबन वापस नहीं लिया गया तो वह सभी सामूहिक रूप से विद्यालय में अपने-अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेजेंगे।
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