57 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद समर्थकों के साथ मंथन
अरसद खान / शोभित श्रीवास्तव / निज़ाम अंसारी
सिद्धार्थनगर। बृहस्पतिवार को जिले में हुए छठे चरण के चुनाव में पाँच विधानसभाओं के 57 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। देर रात से प्रत्याशियों के साथ उनके समर्थक और आम जन भी जीत-हार का गुणा-भाग लगाने लगे हैं।
कपिलवस्तु सीट पर आमने सामने मुकाबला
दस प्रत्याशी के मैदान में होने के बाद भी यहाँ मुकाबला आमने सामने रहा। 52.27 प्रतिशत हुए मतदान में कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र में सपा, भाजपा प्रत्याशी के बीच सीधा चुनावी मुकाबला माना जा रहा है। मुस्लिम मतदाताओं का रुझान साइकिल की ओर देखते ही दोपहर बाद क्षत्रिय और वैश्य मतदाताओं की लामबंदी भाजपा गठबंधन प्रत्याशी की ओर दिखने लगी।
यहाँ 4 लाख 51 हजार मतदाता में सर्वाधिक वोटर मुस्लिम मतदाता लगभग90 हजार हैं। इसके अलावा यादव और पासी समाज सपा का वोट आधार है। देखा जाए तो दोनों प्रत्याशी की लड़ाई पिछड़े वोट को लेकर है। इन्ही वोटों के सहारे जीत की नैया पार होगी। शायमधनी रही और विजय पासवान एक ही जाति से हैं|
ऐसे में ब्राह्मण मतदाता यदि भाजपा से जुड़े हैं तो पिछड़े वर्ग का वोट सपा में जुड़ने से लड़ाई काफी कठिन है। वही बसपा उम्मीदवार कन्हैया कन्नौजिया भी दलगत वोटों को बटोरने में सफल दिखे, लेकिन लड़ाई भाजपा और सपा में होगी, लेकिन दिलचस्प लड़ाई के बीच सेहरा कौन पहनेगा, समय की बात है।
विधानसभा इटवा में हुई चौकोर लड़ाई
13 प्रत्याशी में चतुष्कोणीय लड़ाई में इटवा विधानसभा क्षेत्र से इस बार 49.6 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे 9 प्रत्याशियों का राजनीतिक भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है। यहां कुल 3 लाख 35 हजार 36 मतदाता है। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के सतीश चन्द्र द्विवेदी चुनाव जीते थे।
भाजपा ने उन्हें दूसरी बार फिर प्रत्याशी बनाया है। उनके मुकाबले में सपा से माता प्रसाद पाण्डेय, बसपा से हरिशंकर सिंह, जो भाजपा के बागी हैं, काफी मेहनत की है। वही कांग्रेस से अरशद खुर्शीद का अपना वोट बैंक मायने रखता है।
इस प्रकार देखा जाए तो चारों प्रत्याशी अपने अपने वोट बैंक के साथ लड़ाई में हैं। यहाँ मुस्लिम मतदाता लगभग डेढ़ लाख हैं, लेकिन अरशद खुर्शीद की सेंधमारी से सतीश द्विवेदी और माता प्रसाद पाण्डेय और 20 हजार दलित बैंक वोट से हरिशंकर सिंह में मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
बाँसी विधानसभा की डगर भी कठिन
बाँसी विधानसभा से 12 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहाँ मतदान प्रतिशत 48.05 रहा। यहाँ भी लड़ाई दिलचस्प दिख रही है, लेकिन सपा और भाजपा ही आमने सामने रहे हैं। भाजपा में रहे स्वास्थ्य मंत्री बाँसी राजा जय प्रताप सिंह तो सपा से पहली बार चुनाव लड़ रहे मोनू दुबे के बीच मुकाबला कांटे का दिख रहा है।
यहां मुस्लिम मत और ब्राह्मण मतों को सहेजने में मोनू दुबे सफल नजर आए, तो भाजपा के राजा भी अपने कुशल अनुभव से चुनाव चुनाव को अपने पक्ष में करने की कला से निपुण माने जाते हैं। बहरहाल राजा के राजनीतिक जीवन में सबसे कठिन लड़ाई मानी जा सकती है।
डुमरियागंज में वोट बैंक तय करेगा जीत का गणित
विधानसभा से 13 उम्मीदवार अपनी क़िस्मत आजमा रहे हैं। यहाँ मतदान प्रतिशत कम ही रहा, 48.23 फीसदी हुए मतदान में सभी की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई।
इस विधानसभा में लड़ाई सबसे दिलचस्प है। यहाँ एक से बढ़कर एक योद्धा अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन यहाँ यह माना जा रहा है कि जिसके पास अपना वोट बैंक जितना अधिक जुड़ा, विजय उसी की होगी।
यहाँ सपा से सैय्यदा ख़ातून, भाजपा से राघवेंद्र सिंह, बसपा से अशोक तिवारी तो कांग्रेस से कान्ति पाण्डेय और भागीदारी मोर्चा से इरफान मलिक मैदान में हैं। सैय्यदा ख़ातून सपा लहर में नैया पार करने की जुगत में लगी थी लेकिन, इरफान मलिक ने उनकी राह में जबरदस्त रुकावट पैदा की है।
यहाँ मुस्लिम मतदाता लगभग डेढ़ लाख हैं, वही अशोक तिवारी बसपा से लड़कर यहां दलित मतों, और ब्राह्मण कार्ड फेंककर रघुवेन्द्र सिंह के राह में रोड़ा डाला है। वही कान्ति पाण्डेय भी भाजपा वोट में सेंधमारी कर लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जिसके पास वोट बैंक है सेहरा उसी के सर पर होगा।
शोहरतगढ़ में भी बहुकोणीय लड़ाई के आसार
यहाँ मतदान प्रतिशत 50.7 मतदान के बाद, 13 प्रत्याशियों की किस्मत दस मार्च को खुलेगी। यहाँ 13 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बन्द होने के बाद विधानसभा शोहरतगढ़ में बसपा और कांग्रेस में लडाई का अनुमान ज्यादा दिख रहा है, लेकिन सपा और भाजपा गठबंधन को कम नही आंका जा रहा है। यहाँ से भागीदारी परिवर्तन से डॉक्टर सरफराज अंसारी ने मुस्लिम मतों में सेंधमारी कर लड़ाई को दिलचस्प कर दिया है। यहाँ 26 फीसदी मुस्लिम मतों में विभाजन से लड़ाई बहुकोणीय दिख रही है।