यूक्रेन – रूस वार मिसाइलों के हमले राकेट और फाइटर प्लेन से गिरते बमों के बीच जान जोखिम में डाल कर अपने घर पहुंचे छात्रों की कहानी
सिद्धार्थ नगर जिले के सभी दस छात्र सकुशल अपने वतन पहुंचे |यूक्रेन के शहर सुमी में फंसे सभी 694 छात्रों को मंगलवार को सुरक्षित निकाल लिया गया |
रूस के नाजायज हमले में यूक्रेन के लविव , खार्कीव ,कीव और सुमी पर लगातार मिसाइलों का हमला हो रहा है बीते सोमवार तक सुमी शहर के जादातर हिस्सों को खँडहर में बदला जा चूका है पानी की सप्लाई , बिजली और गैस कनेक्सन कट चूका है |हमलों से बचने के लिए लोग बंकरों में छूप जाते हैं जो मिला खा लिया नहीं तो सो गए ऐसा ही कुछ हो रहा था इसी बीच सिद्धार्थ नगर जनपद के लगभग 10 छात्रों में से सभी सुरक्षित अपने घर पहुँच चुके हैं उन्हीं दस छात्रों में एक सलमान अता और फैसल हैं जिनसे kapilvastupost के रिपोर्टर से बात चीत हुई |
russian troop atack ukrane –युद्ध से प्रभावित होकर यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र सलमान अता जब अपने देश अपनी मिट्टी में सुरक्षित अपने घर लौटे तो घर और गाँव वालों के लिए यह एक तरह से बड़ी ख़ुशी और उत्सव वाला माहौल था ।
बताते चलें कि विकासखंड बढ़नी व शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के मोहनकोला ग्राम के ग्राम प्रधान अताउल्लाह मदनी के बेटे सलमान अता सेंट्रल यूक्रेन के विनितस्या शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं जो third इयर में थे ।
शोहरतगढ़ थानाक्षेत्र के मोहनकोला निवासी सलमान अता ने बताया कि 26 फरवरी को जब इस बात की सूचना मिली कि यूक्रेन के kieve और kharkieve शहर पर हमला हुआ है। तब से दहशत का माहौल है। सभी लोग बंकरों में अपना ठिकाना ढूढ़ने लगे।
अपने अपने देश निकलने के लिए नजदीक के बोर्डरों पर काफी संख्या में छात्र जमा होने लगी खाने-पीने तक की दिक्कत आ गई। साथ ही बताया कि वर्तमान समय मे विनितस्या शहर की हालत और भी ख़राब है।
हम लोगों को सूचना मिली की स्लोवाकिया बॉर्डर से भीड़ कम हो रही है। हम सभी मेडिकल छात्र रात्रि में करीब 18 घण्टे सफर करके यूक्रेन- स्लोवालिया बॉर्डर पहुँचे। बॉर्डर क्रॉस कर अपने देश लौटे। अपने घर पहुँचने में 1 सप्ताह से अधिक का समय लगा। उन्होंने यह भी बताया कि बॉर्डर से पहले कोई मदद नही मिली|
स्लोवाकिया बॉर्डर पहुँचने के बाद हमने भारतीय दूतावास से सम्पर्क करने के बाद भारत सरकार से हर सम्भव मदद मिली है। बेटे के सकुशल लौटने पर पिता अताउल्लाह मदनी ने मीडिया से बात करते हुये कहा की भले ही यूक्रेन में मदद नही मिल पाई हो लेकिन स्लोवाकिया बॉर्डर पार करने के बाद जिन भी एजेंसियों ने लोगों की मदद की है उनका आभार। हम यही चाहते है कि भारत के जितने भी लोग है उनके उनके घर तक पहुचाने में सरकार मदद करें।
यूक्रैन से बढ़नी पहुंचें फैसल निसार –
अभी हफ्ते भर पहले यूक्रेन में फंसे मेडिकल के छात्र फैसल ने विडियो सन्देश जारी कर परिवार और सरकार से मदद की अपील की थी सोमवार को सुरक्षित फैसल भी अपनी जमीन पर पहुँच चुके हैं | MBBS की पढ़ाई करने गए थे यूक्रेन फैसल निसार।रूस और यूक्रेन के युद्ध में फंस गए थे । युद्ध के दौरान बंकर में छुपे थे , मौका मिलते ही यूक्रैन के शहर खरकीव से पोलैंड बॉर्डर फिर पोलैंड पहुंच कर इंडियन एम्बेसी में शरण लिए।पोलैंड से जनरल बी0के0 सिंह की अगुवाई में गाज़ियाबाद से बढ़नी पहुंचे।
फैसल निसार की सुरक्षित बढ़नी (भारत) वापसी पर भारत सरकार , हाई कमिश्नर ऑफ़ पोलैंड –स्लोवाकिया अन्य एजेंसियों के साथ ही जिलाधिकारी दीपक मीणा और मीडिया के सहयोग के लिए परिजनों ने दी दुवाएं और धन्यवाद कहा |
सुरक्षा परिषद् को मूंह चिढाता उक्रेन पर हमला –
नाटो और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हमेशा ही कमजोर देशों पर अपनी आक्रामकता को सुरु से ही दिखाया है | लेकिन जब भी ताकतवर देशों द्वारा कमजोर और गरीब देशों पर उनके संप्रभुता और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होता है हमला होता है तो सिर्फ आँख मूँद कर तमाशा देखने के सिवाय कुछ होता नहीं है , अभी उक्रेन को तत्काल सैन्य सहायता की जरूरत है तो उसे देकर उसकी हर सम्भव मदद दी जानी चाहिए , न कि प्रतिबन्ध प्रतिबन्ध का खेल खेला जाना चाहिए |
उक्रेन में रहते है लगभग बीस हजार भारतीय –
रूस द्वारा उक्रेन पर हमला सिर्फ इसलिय कर दिया कि उक्रेन नाटो का सदस्य न बने अह अपने राष्ट्र की संप्रभुता न बचा पाए वह कमजोर रहे रूस से दबकर रहे आखिर सवाल तो उठता ही है क्या सबका पडोसी कमजोर ही रहेगा यह तो परिस्थितियां तय करती हैं कि वह कैसा होगा|
अगर आपका मकान एक तल्ले का है तो आपके पडोसी का भी मकान एक तल्ले का ही बनने देंगे यह तो सरासर गुंडागर्दी है रूस की | जहाँ एक देश अपनी पहचान खो रहा है वहीँ दूसरी ओर विश्व बिरादरी तमाशा देख रही है | यूक्रेन में लगभग बीस हजार भारतीय रहते हैं जिनमे अधिकतर छात्र हैं और मेडिकल की पढाई करते हैं एक अनुमान के मुताबिक भारतीय खर्च का चौथाई खर्च उठाना पड़ता है |