सिद्धार्थ नगर – बाढ़ पीड़ित गाँव के लोगों ने प्रशासन से लगाई मदद की गुहार ,तीन तीन दिनों से बाढ़ में कैद , नहीं पहुंची मदद

nizam ansari / niyamtullah khan

सिद्धार्थनगर जनपद में बहने वाली नदियों का जलस्तर लगातार बारिश होने व पड़ोसी देश नेपाल के द्वारा पानी छोड़े जाने से बूढी राप्ती एवं राप्ती नदी सहित अन्य नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं। जिससे बाढ़ की हालात बन गयी है हालात यह है कि जनपद के पूरी तरह बाढ़ से प्रभावित बाढ़ पीड़ित लोग काफी परेशान हैं जनपद के दर्जनों से अधिक गांव मैरुण्ड हो चुके है।

हजारों बीघा सब्जी व धान सहित अन्य फसले बर्बाद हो गयी।बांसी तहसील के बूढ़ी राप्ती नदी के सूपा तटबंध के समीप स्थित भगवतापुर गांव सहित कई गांव मैरूड हो गाए हैं बाढ़ का आलम यह है की गांव चारों तरफ से पानी से घिर गया है |

ग्रामीणों का दैनिक जीवन जीना दुश्वार हो गया है फसल व सब्जी पूरी तरह से बाढ़ के पानी से डूब गया है वहीं भगवतापुर के ग्रामीणों का साफ तौर से कहना है बाढ़ से घर से निकलना दुश्वार हो गया है प्रशासन के द्वारा अभी तक कोई मदद नहीं मिला है|

पशुओं को चारा खिलाने की भी समस्या उत्पन्न हो गयी है बच्चे व बूढ़े जान जोखिम में डालकर किसी तरह बाढ़ के पानी में चलकर खाने पीने के सामान बाजार से लाने को मजबूर हैं वहीं ग्रामीण का साफ तौर से कहना है की हम लोग यही चाहते की प्रशासन जल्द ही हम लोगों तक बाढ़ राहत सामाग्री उपलब्ध कराए व आने जाने के लिए नाव की भी व्यवस्था करें।

सिद्धार्थनगर जिले में बाढ़ का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है जिले से बहने वाली 5 में से दो नदियाँ राप्ती और बूढ़ी राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जिसकी वजह से करीब 250 गांव की करीब 1लाख की आबादी प्रभावित है।

हालांकि प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए 69 बाढ़ चौकिया स्थापित की है । साथ ही बाढ़ प्रभावित गांव के लोगों के आने-जाने के लिए नाव और मोटर बोट की व्यवस्था की है । एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी सिद्धार्थनगर जिले में मौजूद है जो बाढ़ से प्रभावित लोगों को हर समय मदद के लिए तैयार है।

बाढ़ प्रभावित असनहरा माफी के ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां एसडीम तहसीलदार और हल्का के लेखपाल बराबर दौरा कर रहे हैं हालांकि अभी उन्हें खाने-पीने की किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं है कि उन्हें प्रशासन से मदद लेनी पड़े लेकिन फिर भी प्रशासन के लोग लगातार आकर उनसे उनका हाल-चाल जान रहे हैं और पानी कम होने के बाद उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिला रहे हैं।

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