करवा चौथ: प्यार और समर्पण का पर्व – डॉ सलोनी उपाध्याय

करवा चौथ के इस पर्व पर सभी दांपत्य जोड़ों को वी पी एल हॉस्पिटल के मालिक डॉ. चंद्रेश उपाध्याय ने दी शुभकामनाएं!

nizam ansari

हर साल की तरह इस बार भी करवा चौथ का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व खासतौर पर शादीशुदा महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवासी रहकर चांद के दीदार के बाद अपने पति को पानी और खाना परोसती हैं।

करवा चौथ में महिलाएं इस दिन खूबसूरत कपड़े पहनकर और सज-संवरकर तैयार होती हैं। पूजा के लिए विशेष थाल सजाए जाते हैं, जिसमें मिठाई, फल और पूजा सामग्री शामिल होती है।

साथ ही, इस पर्व का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह प्रेम, सम्मान और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक भी है। इस अवसर पर पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता और एकता को बढ़ावा मिलता है।

डॉ. सलोनी उपाध्याय ने मनाया करवा चौथ: प्यार और परंपरा का अद्भुत संगम

डॉ. सलोनी उपाध्याय, जो एक प्रसिद्ध चिकित्सक और समाजसेवी हैं, ने इस साल करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया। उन्होंने अपने पति के लिए दिनभर उपवास रहकर इस पर्व का महत्व निभाया।

सलोनी ने अपनी तैयारी को लेकर कहा, “यह पर्व न केवल पति की लंबी उम्र के लिए है, बल्कि यह हमारे रिश्ते में प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है।” उन्होंने अपने थाल में खास तौर पर तैयार की गई मिठाइयों और पूजा सामग्री को साझा किया।

चांद निकलने पर सलोनी ने बड़े प्रेम से अपने पति डॉ. चंद्रेश को पानी और मिठाई दी, और इस खास पल को उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर भी साझा किया। उनके इस उत्सव ने उनकी फॉलोवर्स को प्रेरित किया कि वे भी अपने रिश्तों में प्रेम और सम्मान को बढ़ावा दें।

डॉ. सलोनी उपाध्याय का यह करवा चौथ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है, जो हमें अपने रिश्तों की महत्ता समझाता है।

पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनों ने रखा करवाचौथ

आज सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु, यश और धनधान्य के लिए निराजल व्रत रखा और चंद्र दर्शन के उपरांत वत तोड़ा।

सुहागिनों ने आज निराजल रहकर करवाचौथ व्रत रखा और अपने पति के लंबी आयु, दीर्घायु, यश वृद्धि व धनधान्य से पूर्ण रहने की कामना की। यह वत घर घर में सुहागिन महिलाओं ने रखा। इस दौरान उनलोगों ने एक बूँद भी जल ग्रहण नहीं किया।

सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निराजल व्रत रही और शाम के समय सोलहों श्रृंगार करके, हाथों में मेहंदी रचाकर, नए वस्त्र धारण करके पूजा स्थल पर चन्द्रमा के निकलने की राह देखने लगी।

चंद्रमा के दर्शन होते ही सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक ढंग से पूजा अर्चना किया और व्रत तोड़ा। इस अवसर पर तमाम सुहागिनों ने छलनी से चंद्रदेव का दर्शन किया व अपने पति का चरण स्पर्श किया और उनके हाथों से मिष्ठान्न व जलग्रहण किया।

रात में सभी लोगों ने पारंपरिक भोज ग्रहण किया। हर घर में करवाचौथ व्रत की धूम रही और सुहागिन महिलाएं सजी रही।

रविवार को कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं ने अपने पति की दीर्घ आयु एवं परिवार की सुख शांति की कामना के लिए निराहार व्रत धारण करके करवाचौथ पर्व मनाया गया। इस पर्व पर पारंपरिक भोजन भी बनाया गया।

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