बताया जाता है कि बताया जाता है कि आज आज फिर एक जवान नशे का शिकार होकर अपना सब कुछ गंवा बैठा यहां तक कि उसे चाय पीने टेंपो का किराया देने भर का पैसा नहीं बचा
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बढ़नी नगर पंचायत क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा इस समय नशेड़ियों के चपेट में आ गया है जहां पर कुछ लोग तो नशा बेचने के लिए तैयार बैठे रहते हैं तो वहीं कुछ और लोग नशे की पुड़िया खरीदने के लिए पहुंचे रहते हैं
यहां एक तरफ नशे की लत के शिकार लोग पु डिया खरीदने हैं वहीं कुछ अपराधी किस्म के लोग भी नशे की पुड़िया टैबलेट आदि नशीले पदार्थ खरीद कर अपने पास रखते हैं जिसका प्रयोग वे लोग शरीफ यात्रियों के ऊपर करके उन्हें नशे की हालत में छोड़कर उनके सारे सामान को लूटने में खर्च करते हैं
कहां जाता है कि ऐसे लोग यात्रियों को नशा देकर के उन्हें लूटने में माहिर रहते हैं आए दिन यहां रेलवे स्टेशन बढ़नी के सामने वाली सड़क पर रेलवे स्टेशन पर नशे में धुत्त लोग पड़े रहते हैं गोरखपुर गोंडा लाइन पर चलने वाली
ट्रेन रेलवे स्टेशन आजकल लूटने वाले व्यक्ति का चारागाह बन गया हैअपने साथ रखे हुए नशे की पुड़िया को किसी भी प्रकार से यात्रियों को खिला देते हैं नशीला पदार्थ खानेके बाद जब यात्री विहोश हो जाता है तब यह लोग उसका सारा सामान छीन लेते हैं समान नगद मोबाइल आदि लेकर अपराधी वहां सेनौ दो ग्यारह हो जाते हैं
बताया जाता है कि आज सुबह बढ़नी रेलवे स्टेशन पर आसाम निवासी एक व्यक्ति ने आप बीती बताते हुए कहा कि वह गोरखपुर से ट्रेन से आ रहा था उसे पचपेड़वा जनपद बलरामपुर में ड्यूटी करने जाना था जब आज भी भोरे बढ़नी रेलवे स्टेशन पर उतरा तो किसी ने उसे खाने वाली तबाकू में नशीला पदार्थ मिलाकर खिला दिया
उसने लोगों को बताया कि ट्रेन में ही उसके ₹200000 चोरी हो गए थे और उसके पास जो ₹49000 बचा हुआ था वह बढ़नी रेलवे स्टेशन पर ही किसी ने ले लिया इसके साथ ही साथ एक ओप्पो मोबाइल भी झटक लिया उसने बताया कि वह असम का रहने वाला है और पचपेड़ववा। के पास नौकरी करता है उसके जेब में केवल एक ही रुपया बचा है
लोगों ने उनसे चाय पीने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि हमको चाय नहीं पीनी है किसी तरीके से पचपेड़वा पहुंचना है
उसने कहा कि किसी टेंपो वाले से तय करके पचपेड़वा चला जाऊंगा वहां जाकर एटीएम से पैसा निकाल कर उस वाहन चालक को दे दूगा
यहां पर नशेड़ियों की सुबह-शाम मेला लगता है लोग बढ़नी उपनगर में कई जगह नशे की पुड़िया और टैबलेट मिलने से लोगों को इसकी आपूर्ति आसनी से हो जाती हैकुछ लोग थे इसका प्रयोग स्वयं करते हैं कुछ लोग इसका प्रयोग यात्रियों के ऊपर करके उनका सब कुछ छीन लेते हैं
बताया जाता है कि इसके पूर्व सीमा सुरक्षा बल और पुलिसकर्मीयो ने नशा के धंधे के थोक व्यापारियों को पड़कर चालान कर दिया था
जिसमें से कुछ लोग जेल सेछूट कर घर आ गए है जेल से छूटकर घर आने के बाद फिर वही पुराना धंधा कर रहे हैं
बताते हैं कि यहां पर कुछ वर्दीधारी जो वर्षोंसे बढ़नी एवं आसपास में कुंडली मार के बैठे हुए हैं उनको यहां के बारे में सब जानकारी है नशे के व्यापारी अपना रोजगार चला रहे
पता चला है कि रेलवे स्टेशन के सामने वाली गली में स्मैक की पुड़िया आसानी से मिल जाती है और वही मधवानगर में पहले तो एक ही स्मैक का विक्रेता था अब उसकी सहयोगी भी अलग से नशे की पड़िया बेच रहा अब तो हालत यहहै कि गुप्त गांव के इर्द-गिर्द दो पहिया वाहन चार पहिया लेकर नशेड़ी घूमते रहते हैं कहा जाता है कि वहां पर सुबह-शाम नशेड़ियों का जमघट लगा रहता है।