नेपाल प्रतिनिधि सभा में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थन में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर ऐतिहासिक रैली और राजशाही की मांग पर खूब बहस चली

गुरु जी की कलम से

माओवादी केंद्रके सांसद राजेंद्र बलारी द्वारापूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को भूत कहे जाने पर राष्ट्रीय प्रजातंत्रपार्टी कीसासद रोशन कार्की भड़क गई।

काठमांडू में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के एतिहासिक स्वागत और सफलतम रैली से उत्साहित राष्ट्रिय प्रजातंत्र पार्टी की सांसद रोशन कार्की ने इसे ट्रेलर बताया है।

मंगलवार को नेपाल प्रतिनिधि सभा में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थन में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का पोस्टर, रैली और राजशाही की मांग पर बहस – चल रही थी। इस बीच प्रचंड गुट – के सांसद राजेंद्र बलारी ने पूर्व नरेश को भूत कहते हुए उनके कभी कभी – प्रकट होते रहने का तंज कसा था।

सांसद बलारी के इस बयान से राप्रपा सांसद भड़क उठीं। उन्होंने कहा कि जैसे आप पर लेनिन और – माओवादी का भूत है। उन्होंने कहा – यह तो ट्रेलर था।

यदि सभी जिलों – से राजा समर्थक बाहर निकल आए – तो आपको छिपने की जगह नहीं • मिलेगी।

इस आरोप प्रत्यारोप के बीच माओवादी केंद्र के अध्यक्ष व पूर्व • पीएम प्रचंड ने कहा कि जितना लोकतंत्र प्रचंड का है उतना ही ज्ञानेंद्र शाह का भी है पूर्व नरेश – को लोकतंत्र के भीतर ही अपनी – जगह तलाशनी चाहिए।

हमारा संविधान भी इसे मान्यता देता है। इसलिए इसे कमजोर नहीं समझना चाहिए। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने नेपाल में पिछले आठ महीने से चल रहे तमाम धरना प्रदर्शन व अशांति के लिए ओली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पिछले दिनों राजा वादी समर्थकों की भीड़ भी सरकार के ढुलमुल रवैए का नतीजा है।

उन्होंने कहा कि नेपाल में लोकतंत्र बहाली की कीमत हमसे ज्यादा कौन समझ सकता है। नेपाल की शांति प्रक्रिया और गणराज्य की असल पहचान को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में राजशाही के

तानाशाही शासन के क्रूरतम अंत को भुलाना गलत होगा।

विश्व भर में राजतंत्र का अंत रक्तपात से हुआ लेकिन हमने राज परिवार के खिलाफ हिंसा तो दूर उन्हें निर्वासन तक दिया। यह हमारी उदारता का प्रमाण है।

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी तमाम उपलब्धियों को पलटने की कोशिश की जा रही है। अब ऐसी स्थिति आ गई है कि हमें एक ओर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ना पड़ रहा है और दूसरी ओर प्रतिक्रियावादी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ रहा है।

प्रचंड ने कहा कि सरकार की गलतियों के कारण गणराज्य संकट में पड़ गया है और लोगों का व्यवस्था से विश्वास उठता जा रहा है।

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