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Kapilvastupost
सिद्धार्थनगर जिले के भनवापुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम खुरपहवा की एक दिव्यांग महिला अपने हक के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रही है। महिला का आरोप है कि बीते 5 वर्षों से वह शौचालय केयरटेकर के रूप में काम कर रही थी, लेकिन उसे अब तक मानदेय नहीं मिला है।
महिला ने ग्राम प्रधान व उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब उसने अपने पैसे की मांग की, तो उसे हटा कर किसी और को जिम्मेदारी दे दी गई। महिला खुद दिव्यांग है और उसका पति भी दिव्यांग है। चलने-फिरने में कठिनाई के बावजूद उसे बार-बार सरकारी दफ्तरों में दौड़ाया जा रहा है।
बाईट 1 – दिव्यांग महिला:
“मैंने 5 साल तक इमानदारी से काम किया। अब जब मानदेय मांग रही हूँ तो मुझे हटा दिया गया। भले ही अब काम पर न रखें, लेकिन मेरा बकाया पैसा तो दें।”
इस मामले में सिस्टम की संवेदनहीनता खुलकर सामने आती है। जिस महिला को सरकार ‘दिव्यांग’ कह सम्मान देती है, उसी को उसकी मेहनत की कमाई के लिए तरसना पड़ रहा है।
हमने इस मामले में जिले के मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार से बात की।
बाईट 2 – जयेंद्र कुमार, मुख्य विकास अधिकारी, सिद्धार्थनगर:
(यहाँ अधिकारी की बाईट जोड़ें – यदि बाईट नहीं है तो “फिलहाल अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं” लिखा जा सकता है।)
अब सवाल यह है कि क्या सिस्टम की नींद तब खुलेगी जब कोई दिव्यांग इंसाफ की आस छोड़ देगा? ज़रूरत है कि जिम्मेदार अफसर इस गंभीर मामले पर कार्रवाई करें और पीड़ित महिला को उसका हक दिलाएं।
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