सिद्धार्थनगर जिले के बढ़नी विकास खण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत घरुआर में आंगनबाड़ी कार्यकत्री पद की नियुक्ति में गड़बड़ी का गंभीर मामला सामने आया है। गांव के ही निवासी वीरेन्द्र कुमार ने इस फर्जीवाड़े के खिलाफ मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल (IGRS शिकायत संख्या: 40018425004464) पर शिकायत दर्ज कराते हुए जिम्मेदारों पर मिलीभगत और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि जिस अभ्यर्थी के पास असली और सही प्रमाणपत्र थे, उसे दरकिनार कर दिया गया, जबकि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरी महिला को नौकरी दे दी गई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हल्का लेखपाल आशीष कुमार की गैरमौजूदगी में ही उनके नाम से कम आय प्रमाणपत्र जारी किया गया, और उसी के दम पर विमला देवी को आंगनबाड़ी कार्यकत्री नियुक्त कर दिया गया। आरोप यह भी है कि शोहरतगढ़ तहसील प्रशासन ने बिना सत्यापन के प्रमाणपत्र जारी कर घोर लापरवाही की है।
डीएम से लेकर समाधान दिवस तक लगा चुका गुहार, फिर भी न्याय नहीं!
वीरेन्द्र कुमार का कहना है कि वह जिलाधिकारी समेत समाधान दिवस पर कई बार न्याय की गुहार लगा चुका है, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन अब वह न्याय के लिए अदालत की शरण लेने की तैयारी कर रहा है।
बचाव में विभाग, सवालों के घेरे में चयन प्रक्रिया
वहीं इस पूरे मामले में बाल विकास परियोजना अधिकारी रविन्द्र कुमार यादव ने कहा कि चयन समिति ने जिस अभ्यर्थी को चुना है, उसके अभिलेखों में कोई त्रुटि नहीं पाई गई है। लेकिन सवाल यह है कि जब शिकायतें गंभीर हैं और दस्तावेजों की वैधता पर सवाल खड़े हो चुके हैं, तो जांच क्यों नहीं कराई जा रही?
अब जनता पूछ रही है – क्या आंगनबाड़ी भर्ती में भी ‘सेटिंग और गेटिंग’ ही मानक बन गया है?