सिद्धार्थनगर: डुमरियागंज के फर्जी भैरहवा आई हॉस्पिटल ने छीनी महिला की आंखों की रोशनी — DM के आदेश के बाद भी नहीं हो रही रैंडम चेकिंग, स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में

जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के बावजूद अब तक न कोई रैंडम चेकिंग हो रही है, न फर्जी अस्पतालों पर ठोस कार्रवाई।

नियमतुल्लाह खान की रिपोर्ट 

सिद्धार्थनगर | विशेष संवाददाता
सिद्धार्थनगर जनपद के डुमरियागंज नगर पंचायत क्षेत्र में एक अवैध और फर्जी अस्पताल द्वारा एक महिला की आंखों की रोशनी छीन लेने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह घटना न सिर्फ पीड़िता और उसके परिवार के लिए पीड़ा का कारण बनी है, बल्कि पूरे जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और भ्रष्ट कार्यशैली की पोल खोल रही है।

20 हजार रुपये लेकर इलाज के नाम पर अंधेरा

पीड़ित महिला ने आरोप लगाया है कि उसे डुमरियागंज में संचालित भैरहवा आई हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था, जहां उससे इलाज और ऑपरेशन के नाम पर 20 हजार रुपये वसूले गए, लेकिन ऑपरेशन के बाद उसकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई

इस अस्पताल का नाम नेपाल के प्रसिद्ध ‘भैरहवा आई हॉस्पिटल’ से मिलता-जुलता है, जिससे मरीजों को भ्रम होता है कि यह उसी का कोई शाखा अस्पताल है। जबकि यह एक पूरी तरह अवैध और फर्जी अस्पताल है, जिसमें न कोई पंजीकृत MBBS डॉक्टर होता है और न ही आपात स्थिति में मरीज को संभालने की कोई व्यवस्था

फर्जीवाड़े का खुलासा: नेपाली स्टाफ, बाहर के डॉक्टर, कोई जवाबदेही नहीं

इस अस्पताल में नेपाल से आए गैर प्रशिक्षित नागरिकों को स्टाफ बनाकर बैठाया गया है और बाहर से सर्जन बुलाकर ऑपरेशन कराए जाते हैं।
मरीजों को गुमराह कर यह बताया जाता है कि यह अस्पताल नेपाल के प्रसिद्ध आई हॉस्पिटल की शाखा है, जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है।

सीएचसी अधीक्षक ने दी प्रतिक्रिया, लेकिन कार्रवाई अधर में

जब इस मामले में सीएचसी अधीक्षक डॉ. विकास चौधरी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा मामले को संज्ञान में लिया गया है। हॉस्पिटल को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा गया है। यदि जवाब नहीं मिला तो हॉस्पिटल को सीज कर संचालक पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हर बार मीडिया की खबर के बाद ही स्वास्थ्य विभाग जागेगा?

स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी नींद

डुमरियागंज, बढ़नी, उसका, इटवा जैसे क्षेत्रों में फर्जी अस्पतालों और बिना योग्यता वाले झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमित निरीक्षण, जांच, और रजिस्ट्रेशन सत्यापन जैसी कोई पहल नहीं की जा रही

स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग के कुछ अधिकारी इन अस्पतालों से मासिक सुविधा शुल्क लेकर आंखें मूंदे रहते हैं

जनता का सवाल: आखिर कब जागेगा स्वास्थ्य महकमा?

DM के आदेश के बाद भी रैंडम चेकिंग क्यों नहीं हो रही?

बिना रजिस्ट्रेशन, बिना MBBS डॉक्टर के अस्पताल कैसे चल रहे हैं?

जब तक कोई जान नहीं जाएगी तब तक विभाग सोता ही रहेगा?

अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य विभाग सिर्फ नोटिस तक सीमित न रहे, बल्कि जमीन पर उतरकर फर्जी अस्पतालों पर बुलडोजर चलाए। वरना ऐसी घटनाएं दोहराती रहेंगी और निर्दोष लोग इलाज के नाम पर जिंदगी गंवाते रहेंगे।

 

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