गांव के चौराहे पर जनता को लूटने वाले लुटेरे झोला छाप डॉक्टरों क्लीनिकों पर कार्यवाही करने के बजाय बड़े अस्पतालों के एक दो डॉक्यूमेंट की कमी पर विभागीय सीलिंग की कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग के दोहरे चरित्र को दर्शाती है।
परमात्मा उपाध्याय
सिद्धार्थनगर | विशेष रिपोर्ट
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के नाम पर चल रही स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई अब खुद सवालों के घेरे में है। जिले भर में नवीनीकरण या अनियमितता के नाम पर कई नामचीन व पंजीकृत अस्पतालों पर ताबड़तोड़ सीलिंग की जा रही है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि गांव-देहातों में खुलेआम चल रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
जहां एक ओर प्रशासन की सख्ती ने कई जिम्मेदार अस्पतालों को अस्थायी रूप से बंद करा दिया है, वहीं दूसरी ओर इस स्थिति का सीधा फायदा झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में बिना डिग्री और रजिस्ट्रेशन के धड़ल्ले से इलाज का धंधा कर रहे ये फर्जी डॉक्टर अब और भी ज्यादा सक्रिय हो गए हैं।
बड़े नाम निशाने पर, छोटे मगर खतरनाक खिलाड़ी बाहर दायरे से!
विश्लेषकों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई संतुलित नहीं लग रही है। जिन अस्पतालों के पास जरूरी कागजात हैं, लेकिन नवीनीकरण में थोड़ी देर हुई, उन पर तत्काल ताले लग रहे हैं। वहीं झोलाछाप डॉक्टर, जिनके पास कोई लाइसेंस तक नहीं, खुलेआम इंजेक्शन लगा रहे हैं और दवाएं बांट रहे हैं।
ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ जारी
अलीगढ़वा , ककरहवा, मोहाना ,लोटन, खूनुआ ,गौहनिया , चिल्हिया ,पकड़ी, बभनी ,ढेबरुआ, मड़नी, कोटिया , बेलौहा, खेसरहा सहित कई इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों का नेटवर्क पहले से मजबूत है। अब जब बड़े अस्पताल बंद हो रहे हैं, तो मरीजों के पास विकल्प नहीं बचा, और ये मरीज मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों की ओर रुख कर रहे हैं। यह न सिर्फ एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करता है, बल्कि भविष्य में इससे जनहानि की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।
क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग?
इस मुद्दे पर सीएचसी स्तर के कुछ अधिकारियों का कहना है कि “हम झोलाछाप डॉक्टरों पर भी नजर रख रहे हैं”, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे अलग है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बिना MBBS या BAMS डिग्री के सैकड़ों तथाकथित डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
बताते चलें कि स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए की जा रही कार्रवाई तब तक अधूरी मानी जाएगी, जब तक फर्जी और अवैध रूप से इलाज कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ ठोस और समन्वित अभियान न चलाया जाए। केवल पंजीकृत अस्पतालों को ही निशाना बनाना, समस्या का समाधान नहीं, नवीनीकरण न करना अप्रूवल देना विभाग का काम है अगर सही और संतुलित कदम नहीं उठाए गए तो नई समस्या को न्योता देना होगा जिसमें जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था खराब हो जाएगी।