सहरसा, 21 जुलाई 2025 (सोमवार) —
ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लाईज यूनियन (ECREU) की समस्तीपुर मंडल कमिटी द्वारा सहरसा के शंकर विवाह भवन में दो दिवसीय (20 और 21 जुलाई) बैठक एवं आमसभा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में रेलवे कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं, निजीकरण, नई श्रम नीति, NPS/UPS और कर्मचारियों पर बढ़ते कार्यभार जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
सभा की अध्यक्षता मंडलअध्यक्ष मिथिलेश ठाकुर ने की जबकि संचालन का दायित्व भी उन्हीं के कंधों पर रहा। कार्यक्रम में ज़ोनल जॉइंट सेक्रेटरी श्री रत्नेश वर्मा ने ब्रांच पदाधिकारियों के कर्तव्यों और अनुशासन पर गहन विचार रखते हुए कहा कि सरकार द्वारा रेल कर्मचारियों पर निजीकरण और 55/30 सर्विस रिव्यू थोपे जा रहे हैं, जो श्रमिक हितों के खिलाफ़ हैं।
केंद्रीय अध्यक्ष संतोषपासवान ने पुरानी पेंशन प्रणाली (OPS) को बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि सेना की तर्ज पर रेलवे में भी पेंशन व्यवस्था लागू होनी चाहिए। मंडल सचिव श्री संजीव मिश्रा ने नए श्रम कानूनों को उद्योगपतियों को फायदा पहुँचाने वाला बताया।
वहीं मंडल संयुक्त सचिव श्री सोहन यादव ने कहा कि रेलवे को पार्ट-पार्ट में निजी हाथों में सौंपा जा रहा है, जो आने वाले समय में कर्मचारियों के लिए भारी संकट बन सकता है। जोनल संगठन मंत्री श्री चंदन यादव ने साफ कहा कि NPS और UPS कर्मचारी विरोधी योजनाएं हैं, और हमें OPS से कम कुछ भी मंज़ूर नहीं है।
सभा में सिग्नल विभाग में आउटसोर्सिंग, 24 घंटे ड्यूटी, और ड्यूटी रोस्टर न बनने जैसी कई व्यावहारिक समस्याएं भी उठाई गईं। जयराम द्वारा सिग्नल स्टाफ की समस्याओं को विस्तार से रखा गया। मंडल कार्यकारिणी सदस्य श्री अखिलेश कुमार ने रनिंग स्टाफ के भत्ते बढ़ाने की मांग की, जबकि मंडल कोषाध्यक्ष श्री अविनाश कुमार ने यूनियन के कोष प्रबंधन की पारदर्शिता पर प्रकाश डाला।
जोनल महासचिव श्री मृत्युंजय कुमार ने रेलवे में भारी स्टाफ की कमी, अत्यधिक कार्यभार और रन-ओवर जैसी घटनाओं को गंभीर चिंता का विषय बताया और रेल लाइन पर कार्यरत कर्मचारियों को जीवन रक्षक उपकरण व एक करोड़ के बीमा की मांग की।
सभा के अंतिम चरण में मंडल में ब्रांच गठन की प्रक्रिया पर भी चर्चा की गई। कार्यक्रम में कई प्रमुख पदाधिकारी जैसे श्री अशोक कुमार, श्री चंदन पासवान, श्री उमाशंकर चौपाल, श्री रत्नेश सिंह, श्री रविशंकर कुमार सहित दर्जनों यूनियन प्रतिनिधि मौजूद रहे।
बताते चलें कि सहरसा में हुई यह बैठक रेलवे कर्मचारियों की आवाज़ को न केवल बुलंद करती है, बल्कि यह स्पष्ट संकेत देती है कि यदि समस्याओं का समाधान वार्ता से नहीं हुआ, तो यूनियन आंदोलन के मार्ग पर उतरने को तैयार है। 1 अगस्त को NPS/UPS और निजीकरण के विरोध में देशभर में होने वाले NMOPS के रोशपूर्ण प्रदर्शन को भी इस सभा से पूर्ण समर्थन दिया गया।