ढेबरूआ कोतवाली में भ्रष्टाचार का बोलबाला: चोर-तस्करों को पुलिस का संरक्षण, बढ़नी क्षेत्र बना नशे और अवैध खनन का अड्डा

गुरु जी की कलम से

बढ़नी, सिद्धार्थनगर।
जनपद सिद्धार्थनगर के ढेबरूआ कोतवाली क्षेत्र में भ्रष्टाचार और पुलिस संरक्षण में अपराध फल-फूल रहा है। सूत्रों के अनुसार कोतवाली और बढ़नी पुलिस चौकी पर तैनात कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा न केवल चोरी और स्मैक जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त अभियुक्तों से पैसे लेकर उन्हें “निर्दोष” बताकर छोड़ दिया जा रहा है, बल्कि अवैध बालू खनन माफियाओं को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।

बताया जाता है कि पुलिस द्वारा अपराधियों को पकड़ने के बाद थाने में डराकर, धमकाकर और भय दिखाकर उनके परिजनों से मोटी रकम की वसूली की जाती है। इसके बाद उन्हें निर्दोष बताकर छोड़ दिया जाता है। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है और क्षेत्र में चोरी तथा नशीले पदार्थों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

ढेबरूआ कोतवाली क्षेत्र में बालू खनन माफियाओं का आतंक इस कदर है कि वे दिनदहाड़े नदी घाटों—जैसे चरण गहवा, घोराही, और बुढ़ी राप्ती—से साइकिल, बैलगाड़ी और ट्रैक्टर-ट्रॉली से बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है।

उत्तर में नेपाल सीमा से सटे होने के कारण इस क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी भी बेरोक-टोक हो रही है। पुलिस के कुछ कर्मियों की ढीली कार्यप्रणाली और मिलीभगत के कारण बढ़नी नगर पंचायत सहित आसपास के इलाकों में नशे का जाल बिछ चुका है।

यही नहीं, जब कोई पीड़ित थाना शिकायत लेकर पहुंचता है, तो थाने के गेट से पहले ही पुलिसिया दलाल उनसे संपर्क कर लेते हैं और समझौता कराने के नाम पर अवैध धन वसूली शुरू कर देते हैं। इससे क्षेत्रीय नागरिकों को न्याय के बजाय उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ढेबरूआ थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी की निष्क्रियता और मिलीभगत के कारण क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यदि समय रहते उच्चाधिकारियों द्वारा कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह स्थिति और भी भयावह रूप ले सकती है।

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