Doctor of The Month : डॉ. अशफाक हसन — हार्ट, किडनी, ब्रेन, छाती व शुगर-ब्लड प्रेशर के विशेषज्ञ

डॉ अशफाक हसन शोहरतगढ़ स्थित सुनीता जायसवाल मेमोरियल हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

Kapilvastu Post 

स्वास्थ्य जगत में आज हम आपको एक ऐसे डॉक्टर से मिलवा रहे हैं, जो अपनी लगन, मेहनत और मरीजों के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं। ये हैं डॉ. अशफाक हसन (MBBS, MD) — जो हार्ट, किडनी, ब्रेन, छाती, शुगर और बीपी के इलाज में अपनी अद्भुत विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध हैं।

डॉ. अस्फाक हसन वर्षों से मरीजों की सेवा में समर्पित हैं। डॉ अशफाक MBBS – MD, मेडिसिन आपने कनाडा और लंदन से छाती रोग में फेलोशिप करी है।
हृदय रोग के लिए अमेरिका से फेलोशिप और सऊदी अरबिया में किंग फहद मेडिकल हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट के तौर पर काम कर चुके हैं। अपने अनुभव और आधुनिक चिकित्सा ज्ञान के माध्यम से वे न केवल गंभीर बीमारियों का सटीक इलाज करते हैं, बल्कि मरीजों को जागरूक भी करते हैं कि सही जीवनशैली अपनाकर बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है।

प्रश्न 1: डॉक्टर साहब, आपके अनुसार आज लोगों में सबसे अधिक कौन-सी बीमारियाँ बढ़ रही हैं?
उत्तर: आजकल हृदय रोग, डायबिटीज (शुगर) और हाई ब्लड प्रेशर सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। इन बीमारियों का मुख्य कारण है तनाव, गलत खानपान और शारीरिक निष्क्रियता।

प्रश्न 2: लोग इन बीमारियों से कैसे बच सकते हैं?
उत्तर: सबसे पहले तो दिनचर्या में अनुशासन लाना जरूरी है। नियमित व्यायाम करें, खानपान पर ध्यान दें, जंक फूड और धूम्रपान से दूरी बनाएं। साथ ही, हर छह महीने पर हेल्थ चेकअप जरूर करवाएं ताकि बीमारी की शुरुआत में ही पहचान हो सके।

प्रश्न 5: हृदय रोग के शुरुआती संकेत क्या होते हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए?

उत्तर: छाती में दर्द या असहजता (जिसे एंजाइना कहते हैं), साँस लेने में तकलीफ, हाथ-पैर में सूजन, और थोड़ा सा काम करने पर भी अत्यधिक थकान महसूस होना हृदय रोग के प्रमुख शुरुआती संकेत हैं।

प्रश्न 6: क्या युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ने का कोई विशेष कारण है?

उत्तर: युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक का मुख्य कारण अनियमित और तनावपूर्ण जीवनशैली, शराब और धूम्रपान का अत्यधिक सेवन, और समय पर बीमारी की पहचान न होना है। आनुवंशिकता भी एक बड़ा कारक है।

प्रश्न 3: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या स्थिति है?

उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं अब पहले से बेहतर हुई हैं, लेकिन अभी भी डॉक्टरों की कमी और जांच सुविधाओं का अभाव बड़ी चुनौती है। हमें गाँवों तक आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचानी होंगी।

प्रश्न 7: तनाव और अवसाद (Depression) मस्तिष्क के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं?

उत्तर: लगातार तनाव कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन को बढ़ाता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है। यह याददाश्त कमज़ोर करता है, नींद में बाधा डालता है और अवसाद का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।

प्रश्न 8: स्ट्रोक (पक्षाघात) से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय क्या हैं?

उत्तर: स्ट्रोक से बचाव के लिए अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें, नियमित रूप से व्यायाम करें, और यदि आप मधुमेह (डायबिटीज) रोगी हैं, तो शुगर को नियंत्रित रखें। धूम्रपान तुरंत छोड़ देना चाहिए।

प्रश्न 4: आप मरीजों से क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर: मैं हमेशा यही कहता हूँ कि बीमारी से लड़ने की शुरुआत डर से नहीं, जागरूकता से होती है। समय पर डॉक्टर से सलाह लें और खुद इलाज करने की गलती न करें।

प्रश्न 9: बदलते मौसम में अस्थमा (दमा) के मरीजों को क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

उत्तर: अस्थमा के मरीजों को ठंडी हवा और प्रदूषण से बचना चाहिए। डॉक्टर द्वारा बताई गई इनहेलर थेरेपी का नियमित उपयोग करें और फ्लू या निमोनिया का टीका लगवाना भी फायदेमंद हो सकता है।

hospital mein achhi suvidha aur behtar ilaaj ke liye upmukhyamantri ne kiya sammanit

प्रश्न 12: किडनी को स्वस्थ रखने के लिए दैनिक जीवन में क्या बदलाव किए जा सकते हैं?

उत्तर: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ, नमक का सेवन सीमित करें, दर्द निवारक दवाओं (Painkillers) का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, और अपने शुगर तथा ब्लड प्रेशर को हमेशा नियंत्रण में रखें, क्योंकि ये किडनी फेलियर के मुख्य कारण हैं।

प्रश्न 10: डायबिटीज को नियंत्रित न करने पर शरीर के किन अंगों पर सबसे अधिक असर पड़ता है?

उत्तर: अनियंत्रित डायबिटीज (हाई शुगर) मुख्य रूप से आँखों (रेटिनोपैथी), किडनी (नेफ्रोपैथी), नसों (न्यूरोपैथी) और हृदय को नुकसान पहुँचाती है। इसलिए इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है।

प्रश्न 11: हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) की दवा कितने समय तक लेनी पड़ती है?

उत्तर: अधिकांश मामलों में, हाई ब्लड प्रेशर एक जीवनभर चलने वाली स्थिति होती है। इसकी दवा डॉक्टर की सलाह से तब तक लेनी चाहिए जब तक वह दवा लेने को कहें। जीवनशैली में सुधार से खुराक कम हो सकती है, लेकिन दवा पूरी तरह से बंद करना खतरनाक हो सकता है।