बजट कम करके मुस्लिम संस्थाओं को खत्म करना चाहती है सरकार

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत सरकार के 10 वें रैंक पर पदस्थ है । केंद्रीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार धर्मेन्द्र प्रधान को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का बजट बढ़ा कर 100 करोड़ करने की मांग

एस खान
अल्पसंख्यक कांग्रेस के जिला चेयरमैन डॉ नादिर सलाम के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन कर एस डी एम इटवा को ज्ञापन द8या गया।

विदित हो कि आपके मंत्रालय द्वारा
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविधालय को इस साल सिर्फ़ सवा 9 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया है। बजट में यह कमी 2018 से ही जारी है जब इसे 62 करोड़ से घटा कर 22 करोड़ कर दिया गया था। अगले सत्र में इसमें और कटौती करते हुए इसे 16 करोड़ कर दिया गया और अगले सत्र (2020- 2021) में 14 करोड़, और 2021 -2022 के सत्र में 10 करोड़ कर दिया गया। जिसे इस सत्र में और घटा कर सवा 9 करोड़ कर दिया गया है। आपको जानकारी हो कि अलीगढ़ विश्वविद्यालय की वैश्विक रैंकिंग 801 है, तो वहीं भारत सरकार की अपनी रैंकिंग में यह 10 वें स्थान पर है और इंडिया टुडे द्वारा जारी सरकारी
विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में यह चौथे स्थान पर है। जो इस विश्वविद्यालय के शानदार शैक्षणिक स्तर को प्रमाणित करता है। ऐसे में होना तो यह चाहिए था कि सरकार इसे आर्थिक तौर से और मजबूत कर और बेहतर अकादमिक ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करती। अतः अल्पसंख्यक कांग्रेस की ज़िला इकाई मांग करती हैं कि-

1- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का बजट बढ़ा कर 100 करोड़ किया जाए।

2 – यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित एएमयू के 5 कैंपसों में से सिर्फ़ तीन- मुर्शिदाबाद, किशनगंज और मल्लपूरम ही चल रहे हैं। और इनकी भी आर्थिक स्थिति खराब है। अतः इन तीनों कैंपसों को पर्याप्त बजट मुहैय्या कराया जाए और महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में इसके प्रस्तावित कैंपसों को शुरू किया जाए।

3- मौजूदा वाइस चांसलर का टर्म पूरा हो चुका है। नए वाइस चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया को तत्काल शुरू किया जाए।

4- शिक्षकों के रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए।

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