समाजवादी पार्टी सिद्धार्थ नगर – जिलाध्यक्ष पद को लेकर घमासान दो प्रमुख चेहरे रेस में आगे

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव व उसके ठीक बाद हुवे उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का झंडा फहरने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश अध्यक्ष को छोड़ सभी तरह की सांगठनिक इकाइयों को भंग कर दिया। इसके साथ ही सिद्धार्थ नगर में सालों से पार्टी का झंडा-डंडा ढोने वाले कार्यकर्ताओं के मन में जिलाध्यक्ष पद पर आसीन होने की इच्छा बलवती होने लगी है। इसमें बड़े कद-काठी के लोग जो कई विधान सभा चुनाव में अपनी किस्मत भी आजमा चुके हैं भविष्य की राजनीति के दृष्टिगत अंदरखाने में जोड़तोड़ शुरू कर दिए हैं।

जिले में अपना नाम चलाने और पद तक पहुँचने के करीब लोगों को एक निर्धारित प्रक्रिया के बाद अंतिम निर्णय सपा मुखिया को ही लेना होता है, इसलिए पिछली बार करीब आधा दर्जन लोग सीधे अपना आवेदन ऊपर कर आए थे। और सोर सिफारिश के दम पर पद पर आसीन भी हुवे । अबकी जिले की पांच विधान सभा चुनाव में 2 ही विधायक की जीत के बाद संगठन में किसी नए चेहरे पर भी सपा दांव लगा सकती है।

विधान सभा चुनाव में पूरे जिले में घूम घूम कर पार्टी का प्रचार प्रसार करने वाले पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष व दशकों तक समाजवादी युवजन सभा की नाव खेने वाले जमील सिद्दिकी ने उम्मीदें बढ़ दीं है। जमील सिद्दीकी के पास लगभग 40 वर्षों का राजनीतिक संघर्ष का बेहतरीन तजुर्बा भी है ।

इसके बाद डुमरियागज विधानसभा से एक नाम चिनकू यादव का भी है इसके साथ ही आधा दर्जन चेहरे और भी जिलाध्यक्ष की रेस में है लेकिन चिनकू यादव और जमील सिद्दीकी का नाम लोगों की जुबान पर तैर रहा है। इसके अलावा पूर्व जिलाध्यक्ष अजय चौधरी , लालजी यादव , विजय पासवान और मोनू दुबे का भी है।

बहरहाल समाजवादी पार्टी द्वारा नए जिलाध्यक्ष की तैनाती के पीछे पार्टी संगठन व आम जनता तक जिलाध्यक्ष की लोकप्रियता आसान पहुँच को देखते हुवे ही निर्णय लेगी।

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