उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति का मामला


उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति का गठन वर्ष 2008 से पे डिंग है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- प्रेस मान्यता समिति गठित हुई या नहीं, सुनवाई 30 को

इन्द्रेश तिवारी

प्रयागराज – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि चार जुलाई 2008 के शासनादेश के तहत उप्र प्रेस मान्यता समिति का गठन हुआ है या नहीं। कोर्ट ने 30 सितंबर तक जानकारी मांगी । यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आचार्य श्रीकांत टीएस व अन्य की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि प्रेस मान्यता समिति के गठन के लिए विज्ञापन निकाला गया था । प्रदेश के तमाम संगठनों के साथ आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन ने भी आवेदन किया है, किंतु कोई कार्यवाही आगे न बढ़ते देख एसोसिएशन ने फरवरी 2022 में एक याचिका दाखिल की । कोर्ट ने सरकार से मान्यता समिति के गठन के लिए जवाब मांगा। निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से बताया गया था कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू है। नई सरकार बनने के बाद ही प्रेस मान्यता समिति का गठन करने की कार्यवाही हो पाएगी। इस जानकारी के बाद कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका निस्तारित किया था कि यदि सरकार बनने के बाद मान्यता समिति गठित नहीं होती तो याची फिर याचिका दायर कर सकता है। इसके बावजूद उ.प्र. मान्यता समिति का गठन नहीं हो पाया। पुनः आल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष श्री शास्त्री की तरफ से याचिका दाखिल की गयी है। जिसकी सुनवाई 30 सितंबर को है।

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