राष्ट्रीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा शमा
इसरार अहमद मिश्रौलियां
भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद राष्ट्र चिंतन के जनक मुस्लिम जगत के मुखिया सर सैय्यद खान का भारत के शिक्षा जगत में बड़ा योगदान रहा । मुशायरे में शायरों ने एक से बढ़ कर एक कलाम पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किए रखा ।
मुख्य अतिथि धनंजय सिंह ने कहा कि सर सैय्यद अहमद खान एक ऐसी शख्सियत रहे जिन्होंने न सिर्फ़ हिंदुस्तान को बल्कि पूरी दुनिया में उर्दू अदब का परचम लहराया, आज उन्हीं के नाम से यह कार्यक्रम हो रहा है, शिक्षा जगत में उनका नाम सदैव लिया जाएगा।
हाजी मोहम्मद मुकीम साहब ने आए हुए समस्त मेहमानों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया, और सर सैय्यद अहमद खान के जीवनी पर प्रकाश डाला।
सर सैय्यद अहमद खान के नाम से किए गए मुशायरे एवं कवि सम्मेलन में गंगा जमुनी तहजीब पर ज्यादा फोकस दिया गया।
मशहूर सायरा चांदनी शबनम ने अपने दर्शकों को इश्कियां शायरी और नज़्म पढ़कर रात की ख़ूबसूरत चांदनी रात में चार चांद लगाई।
👉🏻चांदनी शबनम किस पर किस पर ध्यान मैं दूं।
बेइज्जत करने वाले आ तुझको सम्मान दूं।।
घर तुझसे चलता नहीं है, तुमको हिंदुस्तान मैं दूं।
गुम नामी में जीने वाले आओ तुम्हें पहचान मैं दूं।।
इसी के साथ एक ख़ूबसूरत गाना भी पढ़ी गई
इस तरह धड़कता न था, क्या पता दिल को क्या हो गया।
आज फिर उनकी याद आ गई ज़ख्म फिर से हरा हो गया।।
👉🏻शायर वसीम मजहर ने पढ़ा
मश्विरा है कबूल मत करना, कोई काम फ़िज़ूल मत करना।
कोई हसीना अगर तोहफ़ा दें, तो कबूल मत करना।
👉🏻नियाज़ कपिल वस्तुवी ने पढ़ा वक़्त के साथ चल रहे चमचे, सबसे आगे निकल रहे चमचे।
डुगडुगी सुनते ही इलेक्शन की जैसे मेंढ़क उछल रहे चमचे, मांग इनकी है ख़ूब हर दल में आज दल दल में पल रहे चमचे।।
मालेगांव से आए ख़ास शायर
सुहैल आजाद ने अपने ख़ास अंदाज़ में पढ़कर ख़ूब वाह वाही लूटी
कमज़ोर हर शख़्स का ईमान बहुत है,
हैरान इसलिए हूं मुसलमान बहुत हैं।
देता नहीं कोई मुसीबत में सहारा, वैसे तो शहर में पहचान बहुत है।
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👉🏻 सायरा गुले शबा ने अपनी सुरीली आवाज़ से दर्शकों का दिल जीत लिया
काश इस तरह अंधेरे में उजाला भी रहे, मेरी मस्जिद भी रहे मेरा शिवाला भी रहे।
ज़हर देना सदा घोल कर देने वाले, तेरे हाथ में कभी प्यार का प्याला भी रहे।
लहज़ा तल्ख लगेगा लेकिन ये झूठे जज़्बात नहीं।
मेरे पास है मेरे हमदम महलों की सौगात नहीं।।
👉🏻 हास्य कवि गुफरान चुलबुल ने दर्शकों को जमकर हंसाया
घर को अगर आए मेहमान फटा फट, हम्हूं तो किहन नुकसान फटा फट।
जन्नत में फकत साहिबे ईमान जाएंगे।
बेईमान लोग दोजख में झाड़ू लगाएंगे।।
चईलन से मार खैहईयें दोजख में फटा फट।
मरहम की जगह देहिं में डीजल लगाएंगे।।।
👉🏻 अख्तर इलाहाबादी ने पढ़ा
कहीं बिस्मिल कहीं अशफाकुल्लाह लिख देना।
हमारी एकता को फकत एक पहचान लिख देना।।
👉🏻बुज़ुर्ग कवि डॉ. ज्ञानेंद्र द्विवेदी दीपक ने पढ़ा
वो और लोग होंगे यारों जो तूफ़ानों से डरते हैं।
हम खोकर पाते हैं सबकुछ वह पाकर खोते हैं।।
बिना साफ़ दिल के इबादत न होगी।
करोगे तो रब की इनायत न होगी, क्योंकि वहां पर यहां की अदालत न होगी।
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इस महफ़िल में कवित्री रुचि दुबे, हास्य कवि विकास बोखल ने खूब दर्शकों हंसाया।
असद बस्तवी , अकमल बलरामपुरी, जमाल कुद्दुशी निशा आरजू आदि शायर, शायरात एवं कवियों ने अपनी नई नई एवं खूबसूरत पंक्तियां पढ़कर दर्शकों को रातभर जमकर मनोरंजन कराया।
इस मौक़े पर अब्दुल रऊफ चौधरी, नादिर सलाम, अखिलेश मौर्या, महबूब आलम मनिहार, इसरार अहमद फारुकी, डॉ अख्लाक हुसैन, मुस्तफा खा, मेराज मुस्तफा, राम सहाय, कमरुल चौधरी, राम कुमार विश्वकर्मा, रिंकू चौधरी, अजय प्रताप,मलिक फजले रब, मैनुद्दीन ख़ां, शाहिद हुसैन, अय्याज अहमद, इंजीनियर आशिफ शाहिद, अहमद हुसैन, डॉ. मो हुसैन इंजीनियर मुजीब खान, मो इलियास चौधरी आदि भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।