अब्दुल कादिर भैय्या ने दुनिया को कहा अलविदा दिल्ली में इलाज के दौरान मृत्यु इशा के बाद मिट्टी मंजिल

निजाम अंसारी


शोहरतगढ़ थाना अंतर्गत ग्राम डुडवा के अब्दुल कादिर उर्फ कादिर भैय्या एक अजीम सख्सियत जिनको पूरे जनपद में जानने वाले आम आदमी जनप्रतिनिधि से लेकर बड़े बड़े नेता उनको जानते थे उनसे मिलना जुलना होता रहता था।
कादिर भैय्या इंसानियत की जीती जागती मिसाल चाहे हिंदू समाज का हो या उनका हम मजहब सबके साथ उतनी उदारता प्रेम सबके साथ भाई बेटा और बाप की तरह पेश आते थे ।
किसी को कोई परेशानी हो जिले के किसी कोने का रहने वाला हो दरवाजे पर आता तो उसकी भरपूर मदद करते भैय्या रहते तो एक छोटे से गांव में थे पर उनके घर दरबार लगता था आप जब तक रहना चाहें कोई दिक्कत नहीं आपके आम जरूरत का पूरा खयाल रखा जाता था।
अब्दुल कादिर भैय्या गरीबों असहायों के मसीहा थे उनके पास लगभग चार हजार बीघा की खेती होती है सैकड़ों घरों परिवारों को अपनी जमीन पर आबाद किया रोजी रोटी के खेती की जमीन देते बहन बेटियों की शादी का खर्च उठाते बीमारी का इलाज करवाते।
भैय्या लोगों की समयों झगड़ों का समाधान करते पुलिस तक मामला नहीं जाता था भैय्या के फैसलों का सभी आदर करते थे।
कादिर भैय्या के दुनिया छोड़ जाने से उनके चाहने वाले उनके मिलने वालों को गहरा दुख पहुंचा है।
अल्लाह उनकी मगफिरत फरमाए।

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