उत्तराखंड सरकार के पहल न करने से हल्दवानी के चार हजार मकानों के परिवार सड़क पर, कथित तौर पर हल्द्वानी के चार हजार बने मकान रेलवे की जमीन पर है रेलवे के पास इन जमीनों का कोई गजटिएर नहीं न ही कोई दस्तावेज
हाई कोर्ट में रेलवे द्वारा एक बयान हलफी के आधार पर कोर्ट ने जमीनों को खाली करने का दिया आदेश |
उत्तराखंड सरकार द्वारा हल्द्वानी के निवासियों को उस जमीन की फ्री होल्ड रजिस्ट्री ,निवास प्रमाण पत्र ,सरकारी स्कूल हाउस टैक्स जमीनों का पट्टा क्यों दिया गया जब वह रेलवे की जमीन पर आबाद थे |
इन्द्रेश तिवारी
दिसम्बर 2022 का महीना हल्दवानी में रोज की तरह चहल पहल थी सभी नागरिक अपने काम और ऑफिस के लिए तैयार होकर जा रहे थे बच्चे स्कूल के लिए तैयार थे बाज़ारों में रौनक थी फिर अचानक ही हाई कोर्ट का एक फैसला आता है की हल्दवानी में आबाद लगभग 4300 मकान अवैध है यह जमीन रेलवे की है और इसे 7 जनवरी तक खाली कर दें |
इस एक और एकतरफा आदेश ने हल्दवानी के लोगों का जीना हराम कर दिया रहने वाले परिवार अपना घर काम बच्चों के भविष्य को लेकर सड़कों पर आ गए हैं वह लगातार विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च करके सरकार ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं उनकी सुनवाई नहीं हो रही है कोर्ट द्वारा इतना बड़ा फैसला देने के बाद उन्हें सिर्फ एक हफ्ते का समय दिया गया और विस्थापित परिवार के भरणपोषण और उनके बसाने का बिना प्लान किये ये फैसला आ जाता है |
हल्दवानी के लोकल बाशिंदे कथित रेलवे की जमीन पर 1940 से आबाद हैं उनके पास हर तरह के कागजात मौजूद हैं जो प्रदेश सरकार द्वारा जारी किया गया |
फैसले पर सवाल उठाते आम नागरिक जानना चाहते हैं की आज़ादी के 80 वर्षों के बाद रेलवे को अपनी जमीन का ख्याल आया जब हम यहाँ अपना घर बनवा रहे थे तब क्यों नहीं नोटिस जरी की गयी जमीनों के संरक्षण के लिए कोई बोर्ड और एरिया लिखा बोर्ड क्यों नहीं बनाया गया |
रेलवे अगर भूल गयी थी तो उत्तराखंड सरकार को तो मालूम होना चाहिए की जिन जमीनों पर हल्दवानी पर लोग घर मकान बनवा रहे हैं तो उनको जमीनों का पट्टा न जारी किया जाए और न ही जमीनों को फ्री होल्ड किया जाए यही नहीं सरकारी स्कूल और कॉलेज क्यों बनवाया गया हाउस टैक्स क्यों लिया गया सड़के बिजली की सप्लाई पानी सहित नागरिक सुविधाओं का विकास क्यों किया गया |
हल्दवानी के आम नागरिकों की मांग है की रेलवे के कागजात देखें जाये और उसकी मालिकाना हक़ की पुष्टि की जाये | और सरकार दिल्ली की 700 से अधिक अवैध कॉलोनियों को जिस तरह वैध कर दिया गया उसी तरह से हमारे साथ भी इन्साफ करे आखिर इस देश के नागरिकों के साथ देश और प्रदेश की सरकार ऐसा कैसे कर सकती है |