दुधवनिया बुजुर्ग के दो छात्रों ने इंटरमीडिएट परीक्षा में दिखाया कमाल, गांव का नाम किया रोशन

ग्राम प्रधान सईद आलम ने सी बी एस इ बोर्ड में अच्छे मार्क्स लाने पर छात्रों को बधाई देते हुए उनके अच्छे भविष्य के लिए दुआ दी।

परमात्मा उपाध्याय
बढ़नी सद्धार्थनगर दुधवनिया बुजुर्ग ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। गांव के दो होनहार छात्र—हेशाम इजहार और कासिम उमर—ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से इंटरमीडिएट (कक्षा 12वीं) की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए क्षेत्र का मान बढ़ाया है।

95% अंकों के साथ हेशाम इजहार टॉपर, कासिम उमर ने 89.20% अंक पाकर रचा इतिहास

हेशाम इजहार ने 95 प्रतिशत अंक प्राप्त कर टॉपर्स की सूची में अपना नाम दर्ज कराया, जबकि कासिम उमर ने 89.20 प्रतिशत अंक अर्जित कर यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। दोनों छात्रों की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे जिले के लिए प्रेरणास्पद है।

गांव में जश्न का माहौल, परिजनों और शिक्षकों ने दी शुभकामनाएं

इन दोनों छात्रों की सफलता की खबर मिलते ही गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। परिजनों, शिक्षकों, ग्रामीणों और मित्रों ने मिठाइयाँ बांटी और छात्रों को गले लगाकर उनकी इस उपलब्धि की सराहना की। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवा तक सभी ने उन्हें ढेरों आशीर्वाद और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

शिक्षा के क्षेत्र में नई प्रेरणा बने हेशाम और कासिम

इन दोनों विद्यार्थियों की सफलता ने गांव के अन्य युवाओं को भी शिक्षा के प्रति जागरूक किया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब गांव के छात्र भी बड़े संस्थानों और उच्च स्तर की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, बस जरूरत है लगन और मेहनत की। हेशाम और कासिम अब गांव के अन्य बच्चों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं।

परिश्रम, समर्पण और आत्मविश्वास की मिसाल

हेशम और कासिम की यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि अगर छात्र ठान लें, तो किसी भी परिस्थिति में वे सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दोनों छात्रों ने यह दिखा दिया है कि छोटे गांवों के बच्चे भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं।

भविष्य की योजनाएं

दोनों छात्र अब उच्च शिक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं और देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं में दाखिला लेने की योजना बना रहे हैं। वे न केवल अपने परिवार बल्कि समाज और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं।

दुधवनिया बुजुर्ग के हेशाम इजहार और कासिम उमर ने सिद्ध कर दिया है कि सपने अगर सच्ची नीयत और मेहनत से देखे जाएं तो वह जरूर पूरे होते हैं। यह खबर न केवल गर्व की बात है, बल्कि पूरे जिले के युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी है।

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