हर बार की तरह इस भी निराशा ही हुई है केन्द्रीय बजट से बजट में गरीबी,महंगाई,बेरोजगारी और आर्थिक मंदी से निपटने के लिए कुछ भी नहीं है। मनरेगा का बजट लगातार कम किया गया है कांग्रेस सरकार की शानदार रोजगार देने वाली योजना है जो हमारी सरकार में एक लाख करोड़ के उपर बजट हुवा करता था जिससे गाँव में गरीब मजदूर को गाँव में ही रोजी रोटी उपलब्ध करवाती थी पलायन की समस्या पर विराम लगा हुवा था |
मनरेगा बजट कम कम कर दिए जाने से गाँव के मजदूरों को 100 दिन काम का सपना ख़तम हो गया है उपर से बड़े शहरों में रोजगार घटा है ऐसे में गरीब की जिंदगी कैसे कटेगी |
सिंचाई का बजट कम किया गया है।उर्वरक की सब्सिडी कम की गई है।शिक्षा का बजट कम किया गया है।स्वास्थ्य का बजट कम किया गया है।हद तो यह कर दिया की हीरे को सस्ता किया गया और आटे को महंगा किया गया।
किसानों,मजदूरों,नौजवान के लिए बजट में कुछ भी नहीं देश की आधी आबादी से ज्यादा संपत्ति इनके 2 -3 भगोड़े मित्रों के पास है। देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है आर्थिक संकट से निपटने के लिए बजट में इनके पास कुछ भी नहीं है।
आम आदमी को शिक्षा स्वास्स्थ्य और रोजगार चाहिए सरकार ने बजट के माध्यम से बता दिया है खोखली सरकार है इनके पास इस देश के विकाश का विज़न नहीं हैं |