संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ने के लिए देश इंदिरा गांधी का ऋणी है – डॉ नादिर सलाम

 

कांग्रेस बचायेगी संविधान संविधान में समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़े जाने की 44 वीं वर्षगांठ पर अल्पसंख्यक कांग्रेस ने मदरसों में किया कार्यक्रम

एस खान

पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने संविधान के प्रस्तावना में 42 वां संशोधन करके समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ा था जो 3 जनवरी 1977 से अमल में आया। आज वंचित तबक़ों और अल्पसंख्यक वर्गों को जो भी अधिकार हासिल हैं वो इंदिरा गांधी जी के इस क़दम की ही देन हैं। आज भाजपा संविधान से इन्हीं शब्दों को हटाने की कोशिश कर रही है। लेकिन कांग्रेस इस साज़िश को कभी सफल नहीं होने देगी।

ये बातें आज अल्पसंख्यक कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष डॉक्टर नादिर सलाम  ने प्रेस कांफ्रेंस कर कही।

इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि पूंजीपतियों, सामंती और सांप्रदायिक शक्तियों की मंशा को भांप कर ही देश की एकता और आखंडता को बचाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में यह शब्द जोड़े थे। जिसे संसद भी बदल नहीं सकती। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केशवानंद भारती केस और एस आर बोम्मई केस में स्पष्ट कर दिया है कि संविधान की प्रस्तावना में भारतीय लोकतंत्र के मूल तत्व निहित हैं जिसे किसी भी स्थिति में बदला नहीं जा सकता। आज पूरा देश इंदिरा गांधी जी के इस योगदान का ऋणी है।

दोपहर गाँव में आयोजित कार्यक्रम में युवाओं को आज के दिन और संविधान में सेकुलर और समाजवाद शब्द शामिल किये जाने के महत्व पर लोगों को जानकारी दे कर उन्हें जागरूक किया गया। संविधान की प्रस्तावना का सस्वर पाठ कर मौजूद युवाओं ने संविधान के मूल्यों को हर क़ीमत पर बचाने का संकल्प लिया।

इरशाद अहमद (ग्राम प्रधान सुलेहवा) , साद खान (ग्राम प्रधान पिपरी बुज़रूग)

जमील खान (पूर्व जिला पंचायत प्रत्याशी बसपा , सलाम सिद्धार्थनगरी (शायर) ,लजीम मेकरानी (कैमरा मैन) , अकील अहमद  , नसीबूलाह , इरशाद अहमद  ,  साबिर अहमद , शब्बीर अहमद , शमसुल्लाह कार्यक्रम में उपस्थित  रहे |

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