इटवा – आक्रोशित लेखपालों ने एसडीएम को हटाने और जांच कराने की मांग को लेकर एसडीएम के खिलाफ खोला मोर्चा

*इटवा तहसील का मामला, आक्रोशित लेखपालों ने एसडीएम को हटाने और जांच कराने की मांग की
लेखपालों ने एसडीएम के खिलाफ खोला मोर्चा*

अभिषेक शुक्ला इटवा,

इटवा तहसील के लेखपालों ने कार्यबहिष्कार कर एसडीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को लेखपालों ने तहसील सभागार में बैठक कर चेतावनी दी कि एसडीएम के स्थानांतरण होने तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। इस दौरान कोई भी शासकीय कार्य नहीं किए जाएंगे।

संघ के तहसील अध्यक्ष अमरदीप चौधरी व मंत्री नवीन चौधरी ने बताया कि लेखपालों के प्रति एसडीएम की कार्यप्रणाली ठीक नहीं है। शासन का आदेश है कि कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण के लिए माह में एक दिन कर्मचारी संगठनों की बैठक बुलाकर समस्याओं का निस्तारण कराएं, लेकिन यहां न तो कोई बैठक हो रही है और न ही समस्याएं सुनीं जा रही हैं।

आरोप है कि संगठन से जुड़े तहसील व जिला प्रतिनिधियों का एसडीएम की ओर से फोन तक नहीं उठाया जा रहा है। इससे अवैध अतिक्रमण रोकने व लेखपालों के साथ दुर्व्यवहार होने पर वह अपनी बात नहीं कह पाते हैं। यही नहीं सेवानिवृत्त व मृतक आश्रित लेखपालों के पेंशन आदि की भुगतान की कार्रवाई भी समय से नहीं कराई जा रही है। इससे उन लोगों को परेशान होना पड़ता है।

उन्होंने आरोप लगाया कि एडीएम की ओर से जारी कार्यवृत्ति का भी एसडीएम की ओर से अनुपालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी कार्य करते समय लेखपाल रतन कुमार व सुभाष चंद पर पिछले दिनों फर्जी एफआईआर दर्ज किया गया है लेकिन एसडीएम की ओर से लेखपाल के पक्ष में कोई पत्र पुलिस विभाग को नहीं जारी किया गया है।

लेखपालों के जीपीएफ पासबुक को भी पूर्ण नहीं कराया जा रहा है। इससे लेखपालों को अपनी जरूरत पर लोन लेने में दिक्कत हो रही है। खतौनी की लिपिकी त्रुटि राजस्व निरीक्षक स्तर से निस्तारण कर दर्ज करने का नियम है लेकिन यहां पर निजी स्वार्थ के लिए कुछ कर्मचारियों की ओर से टरकाया जा रहा है।

शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बैनामा के खारिज दाखिल में लेखपालों की रिपोर्ट व बयान लिए जाने के नियम हैं लेकिन यहां पर मनमानी तरीके से किया जा रहा है। लेखपालों को क्राप कटिंग का मानदेय पिछले कई वर्षों से नहीं मिला है। पैसा शासन से आकर रखा है लेकिन उसका वितरण नहीं किया जा रहा है।

बाढ़ आपदा में लेखपालों ने अपने पाकेट लंच पैकेट बांटे हैं लेकिन उसका भी रुपये अभी तक नहीं मिला है। पट्टा आवंटन पांच वर्ष पूर्ण होने पर भूमिधर घोषित करने का आदेश है। इसको लेकर लेखपालों की ओर से दाखिल की गई पत्रवाली एसडीएम न्यायालय में अकारण पिछले दो वर्षों से लम्बित है। उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस बाबत बात करने पर एसडीएम की ओर से लेखपालों से दुर्व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि समाधान दिवस में 10 मिनट लेट पहुंचने पर लेखपालों को निलंबित कर दिया जाता है।

एसडीएम का व्यवहार लेखपालों के हित में नहीं है। ऐसे में तत्काल इन्हें हटाया जाए और इनके कार्यकाल की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। जब तक यह सारी मांगें पूरी नहीं हो जाएंगी तब तक लेखपालों का कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। इस मौके पर परमात्मा मिश्र, जहीरूद्दीन, सदाकांद शुक्ल, यशोदा मिश्र, दीपक मौर्य, राम गोपाल, रामबक्ष चौधरी, गिरीश चौधरी आदि मौजूद रहे।

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